जम्मू-कश्मीर पर आ ही गया ऐतिहासिक फैसला, धारा 370 और अनुच्छेद 35A हटा दी गयी।

देश में इन दिनों बदलाव की स्थिति अपने चरम पर है।हाल ही में तीन तलाक पर बिल पास हुआ ,तो अब देश की आजादी के बाद सबसे बड़ा फैसला संसद में गृहमंत्री अमित शाह की सिफारिश के बाद लिया गया। जी हां हम बात कर रहे हैं कश्मीर के उस मुद्दे की जिस पर चर्चा करना ही सुर्खियां बन जाता है। धारा 370 और 35A पर बात करना ही हलचल की स्थिति पैदा कर देता है। ऐसे में जब गृह मंत्री अमित शाह ने चार बड़े संकल्पों का ऐलान किया, तो देश ही नहीं दुनिया की निगाहें भी टीवी स्क्रिन पर टिक गयी। ये चार संकल्प थे।

1.जम्मू कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश घोषित करना।

2.जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म करना।

3.जम्मू कश्मीर से लद्दाख को अलग कर एक नया राज्य घोषित करना।

4.लद्दाख को भी केन्द्र शासित राज्य बनाने का ऐलान।

गृह मंत्री ने आज ऐलान कर कहा कि जम्मू कश्मीर का विभाजन होगा साथ ही जम्मू कश्मीर और लद्दाख केन्द्रशासित राज्य बनेंगे।

अब ये जानना ज़रूरी है कि आखिर धारा 370 है क्या है? 35A क्या है ?और केन्द्र शासित राज्य क्या होते हैं।

अनुच्छेद 370 के अनुसार जम्मू कश्मीर का कानून अलग है, वहां के नागरिकों को दोहरी नागरिकता प्राप्त है।जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग होने के बाद भी देश के संविधान से अलग है, वहां का राष्ट्र ध्वज भी अलग है।वहां विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता है ,जबकि भारत  के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।जम्मू कश्मीर में भारत के राष्ट्रप्रतीकों का अपमान करना अपराध नहीं माना जाता। भारत के दूसरे राज्य के लोग जम्मू कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते।धारा 360 के तहत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, पर ये प्रावधान जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होता। राष्ट्रपति के पास भी इस राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है।

जो जम्मू कश्मीर का स्थाई निवासी नहीं है, वो वहां सरकारी नौकरियों के लिये आवेदन भी नहीं कर सकता, साथ ही वहां के किसी भी विश्वविद्यालय में एडमिशन भी नहीं ले सकता ,और न ही जम्मू कश्मीर की कोई वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता है।भारत देश में होते हुये भी जम्मू कश्मीर के अपने अलग कायदे कानून है। वहां आरटीआई और सीएजी जैसे जरूरी कानून भी लागू नहीं होते।

वहीं 35A की बात करें तो 35A भारत के संविधान का एक अनुच्छेद है, जो जम्मू कश्मीर राज्य विधानसभा को स्थाई निवासी परिभाषित करने और नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करने का अधिकार देता है।14 मई 1954 के पहले जो लोग कश्मीर में बस गये थे ,केवल उन्हे ही वहां का स्थाई निवासी माना गया है।गैर राज्यों के लोगों का जम्मू कश्मीर की किसी भी तरह की सम्पत्ति पर कोई अधिकार नहीं है।आज इन्हीं अनुच्छेदों पर भारत सरकार का अहम और ऐतिहासिक फैसला आया है, जिसके बाद पाकिस्तानी मीडिया भी रोती नजर आई। दूसरी ओर देश भर में लोग एक दूसरे को बधाई देते नजर आ रहे हैं।लेकिन पीडीपी नेता खासे नराज हैं इस फैसले से ,यहां तक पीडीपी सांसदो ने संविधान तक फाड़ने की बात कह डाली, वहीं सूत्रों के अनुसार सांसद मोहम्मद फैयाज़ ने तो अपना कुर्ता ही फाड़ डाला।ये तो जाहिर सी बात है कि देश में इस फैसले से कुछ खुश होगें तो कुछ का काटो तो बिच्छू जैसा हाल।

जम्मू कश्मीर और लद्दाख अब दो राज्यों में बंट रहे हैं, जिन्हें केन्द्र की सरकार अपने कानून के हिसाब से चलायेगी।केन्द्र शासित राज्यों में केन्द्र में मौजूदा सरकार का राज है,जम्मू कश्मीर और लद्दाख में अब केन्द्र के कानूनों को सुचारू रूप से लागू किया जायेगा, इसके लिये केन्द्र उपराज्यपाल द्वारा प्रशासक की नियुक्ति की जायेगी।भारत में अब तक सात राज्य ऐसे हैं जो केन्द्र शासित राज्य हैं, जिनमें अंडमान निकोबार, चंडीगढ़ ,दादर और नागर हवेली, दमन और दीव ,पुंदुच्चेरी, लक्षद्वीप ,और दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र आतें है।

आज के बड़े फैसले के बाद दो और राज्य जम्मू-कश्मीर और लद्दाख इनमें शामिल होने जा रहे हैं।जब कोई राज्य बहुत दूर हो जिसके कारण वहां शासन व्यवस्था लागू न हो पाये या उस राज्य की सांस्कृतिक विरासत बहुत अद्भुत हो, जिस वजह से उसे किसी राज्य में सम्मिलित भी नहीं किया जा सकता हो, और वो राज्य भी बहुत छोटा हो, जिसे अलग राज्य बनाया ना जा सकता हो, या उस राज्य के पास विशेष राज्य का दर्जा हो, तब एसे राज्यों को केन्द्रशासित राज्य बनाया जाता है, ताकि उस राज्य का विकास,कानून व्यवस्था का जिम्मा केन्द्र अपने ऊपर ले सके। इतिहास बताता है कि जब भारत का संविधान बना था तब केवल अंडमान निकोबार द्वीप ही इकलौता केन्द्रशासित राज्य था।बाद में इसका क्रम आगे बढ़ता गया।केन्द्र शासित राज्य भी दो श्रेणी के होते हैं, एक जिनकी अपनी खुदकी विधानसभायें होती हैं ,जैसे दिल्ली और पुंदुच्चेरी।दूसरे जहां बे-रोकटोक केन्द्र का ही राज्य चलता है। ऐसे राज्यों में विधानसभा नही होती, लेकिन नगरमहापालिका होती है जो राज्य का सारा काम केन्द्र के दायरे में आकर देखती हैं।

सावन के पवित्र महीने में एक के बाद एक तीन ऐतिहासिक घटनाओं से पूरे देश में खुशी का माहौल है।चन्द्रयान 2 की लाॅन्चिंग,तीन तलाक पर बिल पास,और अब जम्मू-कश्मीर की आज़ादी। पाकिस्तान में मगर बैचेनी बढ़ती जा रही है, अभी हाल ही में पाक के प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक कर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मदद भी मांगी थी, जिस पर कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाक के बीच मध्यस्थता करने की बात हुई थी,पर आज के फैसले के बाद पाकिस्तान के पास अब इस मुद्दे पर बात करने का भी कोई जरिया ही नही रहा।

पहली बार कश्मीर में आने वाली पन्द्रह अगस्त को तिरंगा फहराया जायेगा।सूत्रो के मुताबिक खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रध्वज को कश्मीर में फहराने जायेंगे।