क्या सिर्फ क्रिकेट ही खेला जाये भारत में?

"तुम्हारा कुछ नही हो सकता भाई क्रिकेट के खिलाड़ी थोड़ी हो तुम जो तुम्हे भारत की सरकार तवज्जो देगी"
ऐसा ही है तो सरकार ऐलान क्यो नही कर देती कि भारत में सिर्फ क्रिकेट ही खेला जायेगा बाकि खेलों से और उन खेलों के खिलाड़ियो से हमें कोई सरोकार नही।देश को मैडल्स भी चाहिये नाम भी चाहिये लेकिन खिलाड़ियो के लिये करना कुछ नही है।
भारत में रह कर भारत के लिये खेलकर अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रौशन करने पर भी अगर आपको नजरअंदाज कर दिया जाये तो क्या आपकी देशभक्ति जवाब नही देगी?बड़े ही शर्म की बात है कि भारत मे अगर खिलाड़ी है तो बस क्रिकेट के ही खिलाड़ी ही है क्योकि उन्हे मीडिया के साथ साथ सरकार का भी साथ और हाथ दोनो ही मिल जाते हैं बाकि और खेलो के खिलाड़ी जाये तेल लेने भारत सरकार को उनसे क्या लेना देना।
दो बार मार्शल आर्ट में वर्ल्ड चैम्पियन रह चुके,इंटरनैशनल प्रो रैसलर और इंटर नैशनल मैराथन खिलाड़ी विनोद राणा की हकीकत है ये जो हम आपको कड़वे शब्दो में बता रहे हैं।राज्य सरकार हो या केन्द्र सरकार खेलो को प्रोत्साहित करने के लिये बड़े बड़े वादे करने में इनको भी गोल्ड मैडल मिलना चाहिये क्योकि सरकार भी बखूबी खेलना जानती है खिलाड़ियो की भावनाओं के साथ।विनोद राणा विदेशी जमीं पर भारत का परचम लहरा चुके है साथ ही अपने हौसले से अपने जज्बे से ऐसे ललकारते हैं मानो शेर दहाड़ रहा हो पर मध्यम वर्गिय परिवार से ताल्लूक रखना ही शायद उनकी बद्किस्मती रही अब हालात ये हैं कि वो मायूस हो सरकार से मांग कर रहे है कि मेरे जैसे खिलाड़ियो की ओर भी सरकार ध्यान दे ताकि वो और अच्छा प्रदर्शन कर सके