क्या गलती से एक बार फिर सोनिया गांधी बनी कांग्रेस अध्यक्ष ?

10 अगस्त 2019,की रात हुआ वही जिसका पता पहले से ही सब को था।कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की बैठक खत्म होने के बाद प्रेस कांफ्रेस हुई और ऐलान हुआ कि कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ही चुन ली गयी हैं।राहुल गांधी ने ढाई महीने पहले ही कहा था, कि इस बार अध्यक्ष गांधी परिवार से नहीं चुना जायेगा, लेकिन कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अपनी पार्टी के रसूख को बचाने के लिये एक बार फिर सोनिया गांधी को ही अध्यक्ष पद के चुनना पड़ा, हांलाकि सोनिया गांधी एक साल तक इस पद को सम्भालेंगी उसके बाद क्या समीकरण बैंठेंगें ये फिलहाल कोई नहीं जानता।अध्यक्ष पद की दौड़ में कांग्रेस पार्टी के कई बड़े नेताओं के नाम भी सामने आये थे ,जिनको लेकर राहुल भी अपनी राय बना रहे थे, जिनमें सुशील कुमार शिंदे,मुकुल वासनिक जैसे वरिष्ठ नेताओं के नाम शामिल थे ,पर अंत में गांधी परिवार और कांग्रेस की सर्वसेविका सोनिया गांधी ही अध्यक्ष पद की कमान सम्भालेंगी।सोनियां गांधी 1998 से 2017 तक कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष रही ये भी अपने आप में एक रिकार्ड है ,कि इतने लम्बे वक्त तक अध्यक्ष बनकर पार्टी की जिम्मेदारी सोनिया गांधी ने उठाई।



राहुल के इस्तीफे के बाद एक मीटिंग हुई थी जिसमें कहा गया था कि देश के हिस्सों में जो वर्किंग कमेटिया काम कर रही हैं वो सब मिलकर गांधी परिवार से अलग कोई और नाम अध्यक्ष पद के लिये सुझायेंगी ये सभी वर्किंग कमेटिया कल रात भी बैठक में मौजूद थीं और ऐसा तो हो नहीं सकता कि अध्यक्ष पद के लिये सोनिया और राहुल के नाम के अलावा कोई और विकल्प ही ना रहा हो, लेकिन इस पद के लिये जो सूची तैयार की गयी थी उसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी का नाम भी था। अब सोचने वाली बात ये है कि अगर सोनिया और राहुल दोनो ही अध्यक्ष नहीं बनना चाहते थे तो सूची में उनके नाम क्यों थे? इस सवाल पर सोनिया  गांधी ने पत्रकारों से कहा कि गलती से उनके नाम इस सूची में आ गये हैं।

तो क्या ये माना जाये कि गलती से ही सोनिया गांधी फिर कांग्रेस अध्यक्ष बन गयी हैं या फिर सोनिया और राहुल के अलावा कोई भी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बनने के लायक ही नही है ।बहरहाल आप बस इतना समझ लीजिये कि कुर्सी एक है और उस पर बैठने वाले बस दो ही लोग हैं।