कोरोना वायरस से भी ज़्यादा खतरनाक था "स्पेनिश फ्लू" कोरोना वायरस से तो आप जीत सकते हैं।

जानलेवा कोरोना वायरस ना जाने कितनों की जाने ले चुका है ,इसका खौफ पूरी दुनिया मे इस कदर छा गया है कि कई देश मे आपातकाल तक घोषित कर दिया है वहीं डब्लूएचओ ने तो कोरोना को महामारी ही घोषित कर दिया।क्या अब तक के इतिहास में कोरोना ही ऐसा वायरस आया है जो सबसे ज़्यादा खतरनाक है?

पिछले दो-तीन दशकों में इबोला, सार्स और स्वाइन फ्लू को सबसे किलर वायरस माना गया लेकिन माना जा रहा है कि जिस तरह कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैल रहा है ये अब तक का दूसरा सबसे बड़ा वायरस है। लंदन के स्कूल ऑफ हाइजीन और ट्रॉपिकल मेडिसिन ने कोरोना वायरस के फैलने का एक मैप तैयार किया है। ये मैप बताता है कि कोरोना वायरस कहीं ज्यादा देशों में फैल चुका है,इबोला, सार्स और स्वाइन फ्लू जो पिछले तीन दशक के सबसे खतरनाक वायरस माने गए, वो भी इतने देशों तक नहीं फैल पाए थे।


लेकिन इन सभी फ्लू में इनसे भी ज़्यादा खतरनाक स्पेनिश फ्लू को ही माना जाता है।क्या है स्पेनिश फ्लू की पूरी कहानी चलिए थोड़ा विस्तार से जानते हैं।सौ साल पहले प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान क़रीब दो करोड़ लोग मारे गए थे, उस युद्ध के परिणामों से दुनिया उबरी भी नहीं थी कि अचानक एक और भयानक संकट ने दुनिया को घेर लिया, और ये था स्पेनिश फ़्लू का प्रकोप।


'स्पेनिश फ़्लू' नाम से जानी जाने वाली यह महामारी पश्चिमी मोर्चे पर स्थित छोटे और भीड़ वाले सैन्य प्रशिक्षण शिविरों में शुरु हुई थी।इन शिविरों और ख़ासतौर पर फ़्रांस की सीमा के क़रीब की ख़ंदकों में गंदगी की वजह से ये बीमारी पनपी और तेज़ी से फैली।युद्ध तो नवंबर 1918 में पूरी तरह समाप्त हो चुका था, लेकिन घर वापिस लौटने वाले संक्रमित सैनिकों के साथ यह वायरस भी अन्य क्षेत्रों में फैलता गया। इस बीमारी की वजह से बहुत सारे लोग मारे गए, कुछ आंकड़े तो ये तक बताते हैं कि स्पेनिश फ़्लू से पांच से दस करोड़ के बीच लोग मारे गए थे।दुनिया में उसके बाद भी कई महामारियां फैलीं लेकिन इतनी घातक और व्यापक कोई और महामारी नहीं रही।हालांकि जब स्पेनिश फ्लू का प्रकोप फैल रहा था तब हवाई यात्रा की शुरुआत भर ही हुई थी,शायद ये भी एक बड़ी वजह रही थी कि  एक देश से दूसरे देश तक ये महामारी ज़्यादा नही फैल पाई थी या कई देश इस बीमारी से अछूते रहे।वो दौर नौकाओं और रेल से सफर करने का था तब बड़ी ही धीमी गति से स्पेनिश फ्लू फैला,इसे फैलने में ही कई महीने और साल लग गए थे,अलास्का जैसी जगहों में तो स्पेनिश फ्लू जा ही नही पाया था,ये फ्लू फैलने से पहले ही अलास्का के सभी विद्यालयों को बंद कर दिया गया था,सार्वजनिक स्थलों पर भी भीड़ इक्कठी करने की मनाही कर दी गयी थी।तैयारी के साथ अगर किसी बीमारी से लड़ा जाए और समय रहते एहतियात बरती जाए तो कोई वायरस ऐसा नही जो इंसान पर हावी हो जाये।


आज कोरोना वायरस को एक हव्वा बना दिया है कहीं कोई ऐसी पॉजिटिव खबर नही दिखाई जा रही जिससे लोगो मे डर कम पैदा हो।दुनिया को जो खौफ कोरोना वायरस का डरा रहा है क्या वाकई ये इतना खतरनाक है? कोविड 19 है तो जानलेवा ही लेकिन इससे बचा जा सकता है।दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले में अगर भारत की बात की जाए तो भारत ने कोरोना की खबरों को दबाने की बजाय समय रहते हुए ही इस वायरस से लड़ने के तरीकों पर काम करना शुरू कर दिया ,जो काम चीन को दिसंबर में ही कर लेना चाहिए था।लेकिन चीन ने शुरुआती दौर में मामले को दबाकर गलत किया।अब इतनी मौतें हो चुकी हैं कि कोरोना वायरस से मरने की खबरे आज न्यूज़ चैनलों की हैडलाइन बन चुकी है,जबकि आपको शायद नही पता कि कोरोना वायरस के दुनिया भर में 1 लाख 10 हज़ार से ज़्यादा केस सामने आए ,जिनमे से 62 हज़ार लोगों की जान सामान्य रूप से बच भी गयी,यानी कि कोरोना वायरस से ग्रसित होने के बाद भी इतने लोग बच गए, 50 प्रतिशत लोग कोरोना की चपेट में आने के बाद भी जिंदा रहे।जो लोग कोरोना की वजह से मारे गए उनमें से लगभग सभी मरीज 60 साल से ऊपर की उम्र के थे,आंकड़े तो यही बताते हैं,नौजवानों में ये वायरस ज़्यादा नही टिक पाता क्योंकि उनकी इम्युनिटी पावर ज़्यादा अच्छी होती है।इसलिए कोरोना वायरस को भूत ना समझो,इससे डरने की ज़रूरत नही है,बल्कि इससे एहतियात के साथ लड़ो,आपकी थोड़ी सी समझदारी इस वायरस से आपको जीता सकती है।