उत्तराखंड में हो रहे पलायन से लड़ता विजय,पहाड़ो को बचाने पहाड़ो में ही बनाई अपनी कर्मभूमि।

उत्तराखंड अर्थात देवभूमि ! ऊंचे ऊंचे पहाड़,पर्वत मालाएं,दूसरी ओर हरे भरे मैदानी भाग।कहीं दार्शनिक स्थल हैं तो कहीं सारे पवित्र धाम इसी देवभूमि के आँचल में हैं,कहीं कल कल बहती नदियों की धाराएं हैं तो कही ऊंचे ऊंचे बर्फ़ीले हिमशिखर।वाकई उत्तराखंड अकल्पनीय, अद्भुत, और अतुलनीय है।देखने मे सब कुछ बहुत कमाल का लगता है एक दम साफ सुथरा सा हमारा प्यारा उत्तराखंड ,लेकिन हर दिन उत्तराखंड के पहाड़ो से पलायन होता जा रहा है,हर दिन इतने सुंदर हरे भरे उत्तराखंड को छोड़कर लोग मैदानी भागो में जीवनयापन करने जा रहे हैं, पहाड़ो में गांव के गांव हर दिन खाली होते जा रहे हैं ,इस समस्या से निबटने में राज्य सरकार भी अब असहाय नज़र आने लगी है।

पलायन के कुछ मुख्य कारण है जिनमे पहाड़ो में मूलभूत सुविधाओं का अभाव सबसे ज़्यादा प्रमुख है जैसे सड़क,बिजली,पानी,स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा,और सबसे प्रमुख रोज़गार का ना होना।पलायन और बेरोजगारी की समस्या को दूर करने की कोशिश में पहाड़ो के ही कुछ युवा सामने आए हैं जिन्होंने बड़े शहरों की चकाचौंध को छोड़कर अपने पहाड़ो पर ही स्वरोजगार अपनाने का फैसला लिया और अपनी जी तोड़ मेहनत से इस फैसले को सही साबित भी कर दिखाया ।


कहते हैं हौसलों से ही उड़ान होती है, ऐसे ही हौसलों के साथ एक युवा उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी गांव में रहकर पलायन को रोकने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।अल्मोड़ा जिले के स्याल्दे ब्लॉक के अंतर्गत एक छोटे से गांव सिमलचौरा निवासी विजय उनियाल ने पलायन से लड़ने का बीड़ा अपने सर उठाया और अपने गांव को ही अपनी कर्मभूमि बनाने के फैसला लिया,विजय गांव में मुर्गी पालन के साथ साथ दूध डेयरी का काम बखूबी कर रहे हैं, इससे ना सिर्फ उनकी जीविका चल रही है बल्कि उनके साथ साथ और लोगों के घर भी चूल्हा जलता है।आवाज़24x7 से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उन्हें शुरू से ही अपनी जन्मभूमि पहाड़ो से खासा लगाव रहा है,शायद इसी लगाव ने उन्हें यही रहकर कुछ करने के लिए प्रेरित किया है,विजय कहते हैं कि कृषि और पशुपालन उनके जीवन का अहम हिस्सा रहा है इसीलिए उन्होंने इसी क्षेत्र में काम करने का फैसला किया।

विजय द्वारा की जा रही कृषि और पशुपालन के कार्यो को उत्तराखंड कृषि विभाग ने भी सराहा और उन्हें मिनी ट्रैक्टर देकर प्रोत्साहित भी किया।


विजय अपने छात्र जीवन से ही सामाजिक कार्यो से जुड़े रहे,ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सड़कों की मांग जैसे मुद्दे लेकर वो हमेशा ही पहाड़ो को विकसित करने में अग्रसर रहे,उनके इन्ही प्रयासों और गांवों के प्रति समर्पण को देखते हुए क्षेत्रीय जनता ने भी उन्हें खूब प्यार और सम्मान दिया 2019 में सम्पन्न हुए पंचायत चुनाव में विजय भाकूड़ा -बसई क्षेत्र से क्षेत्र पंचायत सदस्य के तौर पर भी चुने गए।चुनाव जीतने के बाद विजय ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता क्षेत्र के गांवों को सड़क से जोड़ने की है,जिससे गांवों में रोज़गार के साधन जोड़ने में मदद मिलेगी और गांवों का विकास होगा इससे पहाड़ो से हो रहे  पलायन पर भी रोक लग सकेगी।