उत्तराखंड के लिए अच्छी खबर, सीएम त्रिवेंद्र के फॉर्मूले पर पीएम मोदी की मुहर

करीब 71 फीसदी वन क्षेत्र है। भौगोलिक और वन क्षेत्र होने की वजह से गांवों को सड़कों से जोड़ने में काफी दिक्कत आती है। प्रदेश सरकार ने 2019 तक हर गांव को सड़क से जोड़ने लक्ष्य बना रखा है। इस लक्ष्य को साधने में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का सबसे अहम रोल है, लेकिन इस योजना के तहत प्रदेश को सड़के बनाने के लिए बजट तभी मिलेगा जब वाकई सड़कों का निर्माण हो और उत्तराखंड की बनावट की वजह से यहां हर जगह पर सड़कों का निर्माण नामुमकिन है। यही वजह से की प्रदेश सरकार ने योजना का नाम ही बदलवाने की कोशिश कर रही है। ताकि रोपवे, स्टीमर और आवागमन के दूसरे माध्यम भी जुड़ सकें और प्रदेश सरकार को एक इलाके को दूसरे इलाके से जोड़ने के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसा मिला और वो इसके जरिए गांवों का विकास करा सके। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नीति आयोग की बैठक में भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था।
मुख्य सचिव एस. रामास्वामी ने नीति आयोग को इस संबंध पत्र लिखकर सुझाव दिया था। प्रदेश सरकार के सुझाव से नीति आयोग पूरी तरह से सहमत है। आयोग के सदस्य बिबेक देवराय से भी इस पर चर्चा हो चुकी है। हम आश्वस्त हैं। केंद्र ने सुझाव माना तो इससे उत्तराखंड ही नहीं हिमाचल, जम्मू-कश्मीर समेत सभी पर्वतीय राज्यों को विशेष फायदा होगा। कुल मिलाकर कहें तो उत्तराखंड के गांव गांव में सड़क पहुंचाने के लिए एक नया काम होने जा रहा है। उत्तराखंड सरकार इसकी पैरवी कर चुकी है और उम्मीद है जल्द ही देवभूमि को शानदार सड़कों को तोहफा मिलने वाला है। माना जा रहा है कि सरकार इस काम में एक पल की भी देर नहीं करना चाहती है। अब आने वाला वक्त ही तय करेगा कि ये फॉर्मूला कितना कारगर साबित होता है।