अपने पहले केस को 7 साल की लंबी लड़ाई के बाद जितने वाली सीमा कुशवाहा ने ही दिलवाई निर्भया के दोषियों को फांसी।

निर्भया के चारों दोषियों को आखिरकार शुक्रवार की सुबह 5.30 मिनट पर सजा मिल ही गई। इसी के साथ ही 7 सालों से चल रहा इंतजार भी खत्म हुआ और निर्भया को इंसाफ मिला। ऐसे में उस महिला की भी खूब तारीफ हो रही है, जिसने 7 साल तक चली कानूनी लड़ाई में निर्भया के माता-पिता का साथ नहीं छोड़ा। हम बात कर रहे हैं है निर्भया की वकील की।, उनका नाम सीमा कुशवाहा है। वहीं निर्भया के साथ दरिंदगी होने के बाद हुए प्रदर्शन में शामिल थीं और उसके बाद हर पल निर्भया के परिवार के साथ ही रहीं। ऐसा बताया जा रहा है कि ये उनका पहला केस था। 

सीमा कुशवाहा इस मामले पिछले सात सालों से जुडी हुई हैं, यानि बिल्कुल शुरुआत से। सीमा कुशवाहा निर्भया के साथ हुए रेप के बाद इंडिया गेट और राष्ट्रपति भवन पर हुए प्रदर्शन में भी शामिल थीं। इसके बाद उनके मन में ख्याल आया कि वो एक वकील हैं और ऐसे में क्यों न निर्भया का केस वहीं लड़ें। फिर सीमा कुशवाहा ने निर्भया को न्याय दिलाने की ठान ली। एक बार सीमा ने बताया था कि अगर वह इस मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट, लिस्टिंग के लिए कोशिश नहीं करतीं तो ये मामला लटका का लटका ही रह जाता।



कुछ रिपोर्ट्स के मुताबकि, सीमा कुशवाहा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से अपनी लॉ की पढ़ाई की है। सीमा निर्भया रेप केस के दौरान ट्रेन में थीं। ऐसा बताया जाता है कि वह निर्भया ज्योति लीगल ट्रस्ट से भी जुड़ी हैं, जो रेप और अन्य केस में कानूनी सलाह देने के लिए निर्भया के परिवार ने ही बनाया था। एक टीवी इंटरव्यू के दौरान सीमा कुशवाहा ने बताया था कि वो IS बनना चाहती थीं।वो खुद एक ऐसी जगह से आती हैं, जहां पर लड़कियों को ज्यादा आजादी नहीं दी जाती,लेकिन इन सब के बावजूद भी वह वकील बनीं। इसके बाद वो किसी भी चीज को नामुमकिन नहीं मानती। सीमा कुशवाहा ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में   कहा था कि मैं एक ग्रामीण इलाके से आती हूं, जहां लड़कियों को पढ़ाया नहीं जाता, इसलिए जानती हूं कि हक के लिए लड़ना ज़रूरी है और अभी देश की और बेटियों को भी वो न्याय दिलवाएंगी,2012 का वो वारदात, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया ,जब, दिल्ली में 16-17 दिसंबर की रात एक चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा के साथ छह लोगों ने बेरहमी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। यहीं नहीं इस हैवानियत की वजह से निर्भया की आंतें शरीर से बाहर निकल आईं। खून से लथपथ लड़की जिंदगी और मौत से जूझ रही थी।

बाद में उन शैतानों ने निर्भया और उसके साथी को दक्षिण दिल्ली के महिपालपुर के नजदीक वसंत विहार इलाके में चलती बस से फेंक दिया था। जिसके बाद उसे पीड़ित लड़की को नाजुक हालत में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया।जिसके बाद निर्भया को सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था,लेकिन 29 दिसंबर को निर्भया ने रात के करीब सवा दो बजे वहां दम तोड़ दिया था।पूरे देश मे दोषियों को लेकर खासा आक्रोश फैल गया,जगह जगह जुलूस निकाले गए,कैण्डल मार्च की गई,निर्भया को आज वापस तो नही लाया जा सकता ,और ना ही उसे सही मायनों में न्याय ही मिल पाया लेकिन निर्भया के परिवार वालो को आज एक सुकून ज़रूर मिल गया होगा कि उनकी बेटी की मौत के ज़िम्मेदार भी अब ज़िंदा नही।