अंबाला में तैनात किए जाएंगे राफेल, धारा 144 की गई लागू

राफेल के लिए अंबाला एयरफोर्स पूरी तरह से तैयार है। इस लड़ाकू विमान के लिए एयरबेस विशेष प्रबंध किए गए हैं। राफेल के आने से चीन को चुनौती तो पाक की नापाक हरकतों पर नजर रहेगी। राफेल की अंबाला एयरबेस पर तैनाती से एयरफोर्स ही नहीं सैन्य शक्ति में भी इजाफा होगा। अंबाला से चंद मिनटों की उड़ान भरकर राफेल दुश्मन देश (पाकिस्तान और चीन) की सीमा पर पहुंच जाएगा। गोल्डन एरो को देश में राफेल की पहली स्क्वाड्रन होने का गौरव मिला है।

जिस राफेल पर दुनिया भर की निगाहें टिकी हैं वह बुधवार को अंबाला में तैनात किए जाएंगे। अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर बुनियादी ढांचा तैयार किया जा चुका है, लेकिन यहां पक्षियों के झुंड को लेकर विशेष निगरानी रखी जाएगी। जून 2019 में एयरबेस से उड़ान भरने के बाद जगुआर के सामने पक्षियों का झुंड आ गया था। पायलट ने विमान बचाने के लिए फ्यूल टैंक गिरा दिए थे। राफेल की तैनाती से इस तरह के खतरे को लेकर अधिकारी चिंतित हैं। अब लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वे घरों की छतों पर पक्षियों के लिए दाना न रखें।

जगुआर मामले में भारतीय वायुसेना ने अपने ट्विटर हैंडल पर वीडियो भी अपलोड किया था। इसमें साफ दिख रखा था है कि उड़ान भरने के कुछ सेकेंड के बाद ही जगुआर के सामने पक्षियों का एक झुंड सामने आ गया, जिसके चलते पायलट को फ्यूल टैंक गिराने पड़े।एयरफोर्स स्टेशन से 100 मीटर दूर किसी भी तरह का निर्माण नहीं हो सकता, लेकिन यहां करीब एक हजार मकान न केवल खड़े हो गए बल्कि उनकी रजिस्ट्रियां तक कर दी गई। वर्क्‍स ऑफ डिफेंस एक्ट 1903 के तहत एयरफोर्स स्टेशन के 100 मीटर दायरे में कोई भी निर्माण नहीं किया जा सकता।

जगुआर के सामने पक्षियों का झुंड आने के बाद टले हादसे के बाद अधिकारी नींद से जाग गए। कई विभागों की कमेटी का गठन कर नोटिस जारी किए गए लेकिन अब अधिकारी सुस्त पड़ गए हैं।अंबाला एयरबेस में वायुसेना ने अपनी गोल्डन एरो स्क्वाड्रन को राफेल फाइटर जेट की पहली स्क्वाड्रन के लिए तैयार कर लिया है। वायुसेना की 17 नंबर स्क्वाड्रन यानी गोल्डन एरो स्क्वाड्रन को 1951 में अंबाला में ही तैयार किया गया था। उस समय इसे हार्वर्ड एयरक्राफ्ट से लैस किया गया था।

बाद में इसे वैंपायर और हंटर एयरक्राफ्ट दिए गए। 1975 में इसे उस समय के सबसे आधुनिक मिग-21 एयरक्राफ्ट दिए गए जो अब तक इस स्क्वाड्रन की शान रहे। गोल्डन एरो ने 1965 और 1971 के युद्धों में अपने जौहर दिखाए थे। यहां तक कि में कारगिल युद्ध के दौरान यह स्क्वाड्रन बठिंडा में तैनात थी।भारत-पाक के बीच 1965 और 1971 में पाकिस्तान को धूल चटाने में अंबाला एयरबेस की महत्वपूर्ण भूमिका रही। अप्रैल 1938 में स्टेशन हेडक्वार्टर से शुरुआत हुई थी। वर्ष 1951 से 1954 के बीच एयरफोर्स में 307 विंग की तैनाती की गई थी। कुछ समय बाद सेवन विंग स्थापित की गई, जो अभी भी मौजूद है।