'देवभूमि की इस ‘मां’ को सलाम, बेटे की शहादत से टूटी नहीं और किया ‘शेरनी’ वाला काम'

दुश्मनों के दांत खट्टे करने हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि मूसी देवी के पति भी कभी सेना में काम करते थे। मूल रूप से मूसी देवी कर्णप्रयाग की रहने वाली हैं। मूसी देवी के चार बेटे हैं। सबसे बड़े बेटे दर्शन सिंह सेना से रिटायर हो चुके हैं। सबसे छोटे बेटे मोहन सिंह साल 1987 में सियाचीन में शहीद हो गए थे। बेटा शहीद हुआ तो मूसी देवी टूटी नहीं। उन्होंने अपने पोते को सेना के लिए तैयार किया। दादी के नक्शे कदम पर पोता चला, तो आज सेना में है। आप सोच सकते हैं कि किसी मां का बेटा सेना में भर्ती होकर देश के लिए कुर्बान हो जाए तो उस मां पर कैसी बीतती है। लेकिन मूसी देवी ने कभी हार नहीं मानी। साबित कर दिया कि देवभूमि वीरों की भूमि भी है। मूसी देवी की आंखों में वो पल आज भी घूमता है, जब बेटे ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। लेकिन मजाल है कि इनके हौसले को कोई डगमगा पाए। मन में एक बार ठान ली तो ठान ली। जिद थी कि पोता सेना में ही जाएगा।