दिल्ली दंगल का विजेता कौन? मोदी का मैजिक चला या केजरीवाल शो बरकरार,या फिर कांग्रेस करेगी कमाल, 26 साल बाद भाजपा की होगी वापसी या आप लगाएगी हैट्रिक? आज तस्वीर होगी साफ 

Who is the winner of Delhi Dangal? Will Modi's magic work or will Kejriwal's show continue, or will Congress do wonders, will BJP make a comeback after 26 years or will AAP score a hat-trick? The pic

दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा इस बार राजधानी में असर दिखा पाएगा या फिर आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल की सियासी रणनीति एक बार फिर सफल होगी। वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी के कामयाब होने के बारे में आज मतगणना के ख़त्म होने के बाद खुलासा होगा। दरअसल बीते दो विधानसभा चुनावों में भाजपा मोदी लहर के बावजूद दिल्ली में सरकार बनाने में असफल रही थी,जबकि केजरीवाल का मैजिक चलता रहा और आम आदमी पार्टी ने भारी बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की। वही दूसरी ओर कांग्रेस इन चुनावों में लगातार हाशिए पर ही रही है।

भाजपा के लिए यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। लोकसभा चुनाव के बाद कई राज्यों में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया और मोदी के नाम पर जीत दर्ज की,लेकिन दिल्ली में विधानसभा चुनाव का समीकरण हमेशा अलग रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर इस बार भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ता है,तो यह संकेत होगा कि मोदी की लोकप्रियता का असर राज्य स्तरीय चुनावों में सीमित हो सकता है। इसके विपरीत यदि भाजपा इस बार मजबूत प्रदर्शन करती है,तो यह संकेत होगा कि केंद्र सरकार की नीतियां और मोदी का करिश्मा अब दिल्ली की जनता को भी प्रभावित कर रहा है। दरअसल भाजपा के चुनाव प्रचार की शुरूआत मोदी ने की थी और उन्होंने पांच सभा करके अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा था।अरविंद केजरीवाल ने पिछले दो चुनावों में भाजपा और कांग्रेस दोनों को शिकस्त दी थी और आप को दिल्ली में अभूतपूर्व सफलता मिली थी। उनके शासनकाल में शिक्षा, स्वास्थ्य और मुफ्त सुविधाओं पर जोर दिया गया, जिसने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाए रखा। हालांकि इस बार भाजपा ने आक्रामक प्रचार अभियान चलाया और केजरीवाल सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की। खासकर आप सरकार में हुए भ्रष्टाचार और विभिन्न मामलों में सरकार की नामाकी और अनेक वादे पूरे नहीं करने के मुद्दों को उठाते हुए भाजपा ने मतदाताओं को रिझाने का प्रयास किया। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार भी दिल्ली की जनता केजरीवाल की योजनाओं पर भरोसा जताती है या भाजपा के एजेंडे को स्वीकार करती है।

वही दिल्ली की राजनीति में कभी मजबूत पकड़ रखने वाली कांग्रेस बीते दो चुनावों में पूरी तरह अप्रासंगिक हो गई थी। वर्ष 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी और पार्टी का वोट शेयर भी तेजी से गिरा था। हालांकि इस बार कांग्रेस ने पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ा और राहुल गांधी व प्रियंका गांधी ने लगातार प्रचार किया। अगर कांग्रेस इस चुनाव में कुछ सीटें हासिल करने में सफल होती है तो यह उसके पुनरुत्थान की शुरुआत हो सकती है। लेकिन अगर पार्टी फिर से शून्य पर सिमट जाती है तो यह उसके लिए एक और बड़ा झटका होगा। विधानसभा चुनाव में इस बार की तस्वीर कुछ बदली-बदली सी नजर आई। पिछले चुनावों में जहां एकतरफा लहर देखने को मिलती थी, इस बार चुनावी रणभूमि में ऐसा कुछ साफ नजर नहीं आया। चुनाव प्रचार के दौरान किसी खास पार्टी या नेता की स्पष्ट लहर दिखाई नहीं दी, जिससे मुकाबला रोचक रहा। आम आदमी पार्टी पहली बार कुछ दबाव में नजर आई। अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली पार्टी, जो पिछले दो विधानसभा चुनावों में भारी बहुमत से सत्ता में आई थी, इस बार थोड़ी सतर्क और रक्षात्मक मुद्रा में दिखी। इसका कारण उसकी सरकार पर भ्रष्टचार के आरोप लगने और उनके नेताओं के जेल में बंद होने समेत कई अन्य मुद्दों पर बढ़ता विपक्ष का दबाव और आंतरिक कलह रही। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने अपनी रणनीतियों में बदलाव किए और इस बार केजरीवाल को चुनौती देने की पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरे। भाजपा की बात करें तो इस बार भी पार्टी का रुख आक्रामक रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह व अन्य नेताओं ने धुआंधार रैलियां कीं और प्रचार के जरिए दिल्ली की जनता को भाजपा के पक्ष में मोड़ने का प्रयास किया। दूसरी ओर, कांग्रेस इस बार पहले से अधिक सक्रिय नजर आई। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने खुद मोर्चा संभाला और लगातार रैलियां व जनसभाएं कीं। पार्टी का फोकस उन पारंपरिक वोट बैंक पर रहा, जो पिछले कुछ चुनावों में आप और भाजपा के बीच बंट गया था।