आचार संहिता लागू होने पर कौन सी धारा लगती है? क्या है 1951 की धारा 126 क ?

चुनावों के समय अक्सर आचार संहिता के उल्लंघन के मामले सामने आते हैं। ऐसे में आचार संहिता लागू होने पर कौन सी धारा लगती है? 1951 की धारा 126 क क्या है? मीडिया कब तक चुनावी सर्वेक्षण कर सकती है? तमाम ऐसे सवाल हैं जो हर किसी के मन में उठते हैं। यूं तो आयोग की अधिसूचना और धारा 126 क के उपर्युक्त उपबंधों के बावजूद, यह देखा गया है कि कुछ टीवी चैनल ऐसे कार्यक्रम प्रसारित करते हैं जिनमें राजनैतिक दलों द्वारा जीती जाने वाली संभावित सीटों की संख्या का उल्लेख किया जाता है। ऐसा उस अवधि के दौरान किया गया है जिसके दौरान एग्जिट पोल और उसके परिणामों के प्रसार पर प्रतिबन्ध था। किसी एक चैनल में कार्यक्रम के पेनलिस्ट, जो कि राजनैतिक विश्लेषकों सहित विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित व्यक्ति थे, ने उत्तर प्रदेश में विभिन्न राजनैतिक दलों द्वारा जीती जाने वाली संभावित सीटों की अनुमानित संख्या के बारे में बताया था।
आयोग का यह विचार है कि निषेध अवधि के दौरान किसी भी प्रकार से निर्वाचनों के परिणामों की भविष्यवाणी या ज्योतिषियों, टैरो रीडर, राजनैतिक विश्लेषकों या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा की गई भविष्यवाणी का कोई तरीका, धारा 126 क के अर्थों में उल्लंघन है, जो ऐसे राज्यों जहां मतदान होने हैं, के निर्वाचन क्षेत्रों के निर्वाचकों को विभिन्न राजनैतिक दलों की संभावनाओं के बारे में ऐसी भाविष्यवाणी द्वारा उनके मतदान में उन्हें प्रभावित होने से रोकती है।
निर्वाचन आयोग को इसे रिकॉर्ड करने में कोई दुविधा नहीं हैं कि संवैधानिक आधार, स्वतंत्र न्यायपालिका, व्यापक स्तर पर नागरिकों, राजनैतिक दलों और विशेषतः सिविल सोसाइटी संगठनों की अत्याधिक आस्था और विश्वास, वस्तुनिष्ठ मीडिया रिपोर्टिंग जिसमें निर्धारित आचार संहिता, नियमों, विधियों इत्यादि का अनुपालन शामिल है, के बिना भारत निर्वाचन आयोग को इतनी पहचान न मिली होती जितनी इसे विश्व भर में निर्वाचन प्रबंधन के कारण मिली है। इस पृष्ठभूमि में ऐसे प्रयास जो कि मात्र वाणिज्यिक कारणों से प्रतिद्वंद्वियों के विरूद्ध केवल ब्राउनी प्वाइंटस प्राप्त करने के लिए हैं, उपयुक्त प्रतीत नहीं होते हैं।
सभी मीडिया (इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट) को धारा 126 क के अधीन निषेध अवधि के दौरान आगामी निर्वाचनों में इस प्रकार के कार्यक्रमों के प्रसारण/प्रकाशन से दूर रहने की सलाह दी जाती है ताकि स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी निर्वाचन संचालित किए जा सकें।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126क (1═ यह उपबंधित करती है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार के एग्जिट पोल का संचालन नहीं करेगा तथा प्रिंट या इलेक्ट्रॅानिक मीडिया के द्वारा उसका प्रकाशन अथवा प्रचार या किसी भी प्रकार से इस संबंध में निर्वाचन आयोग द्वारा यथा अधिसूचित ऐसी अवधि के दौरान किसी भी प्रकार के एग्जिट पोल के परिणाम जो भी हो, का प्रचार नहीं करेगा। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126क की उप धारा (2) के उपबंधों के अधीन उपर्युक्त अवधि मतदात क्षेत्रों में मतदान के पहले दिन मतदान के लिए निर्धारित समय (मतदान से लगभग 48 घंटे पहले )से शुरू होने से आरंभ होगी तथा मतदान समाप्त होने के आधा घंटा बाद तक जारी रहती है।