ये कैसा फैसलाः नाबालिग से दुष्कर्म की कोशिश का मामला! इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- निजी अंग पकड़ना और नाड़ा तोड़ना दुष्कर्म की कोशिश नहीं

नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसे सुनने और पढ़ने के बाद हर कोई हैरान है। खबरों के मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि किसी नाबालिग लड़की के निजी अंग पकड़ना, उसके पायजामे की डोरी तोड़ना और उसे घसीटने की कोशिश करना दुष्कर्म या दुष्कर्म के प्रयास का मामला नहीं बनता। कोर्ट ने इसे अपराध की ‘तैयारी’ और ‘वास्तविक प्रयास’ के बीच का अंतर बताया और निचली कोर्ट द्वारा तय गंभीर आरोप में संशोधन का आदेश दिया है।
जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र ने आदेश में कहा कि दुष्कर्म के प्रयास का आरोप लगाने के लिए साबित करना होगा कि मामला तैयारी से आगे बढ़ चुका था। तैयारी और वास्तविक प्रयास के बीच अंतर है। अभियुक्त आकाश पर आरोप है कि उसने पीड़िता को पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की और उसका नाड़ा तोड़ दिया। पर गवाहों ने यह नहीं कहा कि इससे पीड़िता के कपड़े उतर गए। न यह आरोप है कि अभियान ने ‘पेनेट्रेटिव सेक्स’ की कोशिश की। आरोपी पवन और आकाश को कासगंज की एक कोर्ट ने आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म) और पॉक्सो एक्ट की धारा 18 के तहत मुकदमे के लिए तलब किया था। पीड़िता के परिजनों ने शिकायत की थी कि दोनों ने 2021 में लिफ्ट के बहाने नाबालिग से दुष्कर्म की कोशिश की। हांलाकि राहगीरों के आने पर वह भाग गए।
बता दें कि साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच का एक फैसला पलटते हुए कहा था कि किसी बच्चे के यौन अंगों को छूना या ‘यौन इरादे’ से शारीरिक संपर्क से जुड़ा कोई भी कृत्य पॉक्सो एक्ट की धारा 7 के तहत यौन हमला माना जाएगा। इसमें सबसे महत्वपूर्ण इरादा है, न कि त्वचा से त्वचा का संपर्क।