उत्तराखण्डः गौचर मेले का भव्य आगाज! सीएम धामी ने किया उद्घाटन, लिंक में जानें गौचर मेले का इतिहास

चमोली। 72वां राजकीय औद्योगिक विकास एवं सांस्कृतिक मेले का आज भव्य आगाज हो गया है। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गौचर मेले का विधिवत् उद्घाटन किया। इस मौके पर बैंड की मधुर धुन के साथ सीएम धामी का फूल मालाओं से भव्य स्वागत किया गया। सीएम धामी ने कहा कि गौचर मेला संस्कृति, बाजार तथा उद्योग तीनों के समन्वय के कारण एक प्रसिद्ध राजकीय मेला है और साल दर साल यह मेला अपनी ऊंचाईयों को छू रहा है। उन्होंने मेले को भव्य एवं आकर्षक स्वरूप देने के लिए जिला प्रशासन की सराहना की। मेले में विभागीय स्टॉल के माध्यम से सरकार द्वारा संचालित जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी दी जा रही है इसका लाभ स्थान लोग उठा रहे हैं।
7 दिनों तक चलने वाले इस ऐतिहासिक मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शानदार शानदार संध्या के साथ ही विभिन्न खेलों का आयोजन भी कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विशिष्ट और ऐतिहासिक मेला हमारे राज्य के प्रमुख मेलों में से एक है और इसमें सरकार के अधिकांश विभाग भाग लेते हैं। मेले हमारे जीवन में इन्द्रधनुषी रंगों की तरह हैं और जीवन में ताजगी और उत्साह भर देते हैं। प्राचीन समय में जब संचार और परिवहन की कोई ऐसी सुविधाएं नहीं थीं तो इन मेलों ने सामाजिक ताने बाने को बुनने में बहुत मदद की और लोगों का सामाजिक और व्यावहारिक दायरा बढ़ाया। हमारे देश में और विशेष रूप से उत्तराखंड में अधिकतर मेले सांस्कृतिक मेल मिलाप का माध्यम रहे हैं, परंतु गोचर मेला विशेष है, क्योंकि संस्कृति की छटा बिखेरने के अलावा यह मेला यहां की जनता के व्यापारिक अवसरों को भी बढ़ाता है। इस मेले में प्रदर्शित झांकियों ने उत्तराखंड की विशिष्ट एवं बहुआयामी संस्कृति को प्रदर्शित किया है। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ पत्रकार क्रांति भट्ट को गोविंद प्रसाद नौटियाल पत्रकार सम्मान से सम्मानित किया।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड को मेलों की संस्कृति और विचारों का मिलन स्थल माना जाता है। यहॉ के प्रसिद्व मेलों में से एक अनूठा मेला गौचर मेला है। गौचर अपने ऐतिहासिक व्यापार मेले के रूप में जाना जाता है। गढवाल के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर के सुझाव पर माह नवम्बर, 1943 में प्रथम बार गौचर में व्यापारिक मेले का आयोजन शुरू हुआ तथा बाद में धीरे-धीरे इसने औद्योगिक विकास मेले एवं सांस्कृतिक मेले का स्वरूप धारण कर लिया। गौचर मेले का आयोजन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिन के अवसर पर 14 नवंबर को होता है। यह मेला संस्कृति, बाजार तथा उद्योग तीनों के समन्वय के कारण पूरे उत्तराखण्ड में लोकप्रिय बन चुका है। मेले में कई प्रकार की दुकाने लगाई जाती है। साथ ही मेले में स्थानीय लोग हाथ से बनायें ऊनी स्वेटर तथा कई प्रकार के वस्त्रो का विपणन भी करते है।