उत्तराखण्ड: बागेश्वर के कांडा में खड़िया खनन से आई दरारों का मामला! हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, डिप्टी डायरेक्टर ज्यूलोजिकल खनन इकाई को पेश होने के निर्देश

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बागेश्वर जिले की तहसील कांडा के कई गांवों में खड़िया खनन से आई दरारों के मामले में स्वतः संज्ञान लेकर पंजीकृत की गई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 17 फरवरी को डिप्टी डायरेक्टर ज्युलोजिकल खनन इकाई उत्तराखण्ड को व्यक्तिगत रूप से तथा कमेटी के अन्य सदस्यों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने को कहा है।
आज हुई सुनवाई पर राज्य सरकार ने बागेश्वर जिले के 61 खड़िया खुदानो की जांच रिपोर्ट न्यायलय में प्रस्तुत की। जिसमे राज्य सरकार की तरफ से कहा गया है कि उच्च न्यायलय के आदेश पर प्रसाशन ने खड़िया खनन पर लगी कई बड़ी मशीनों को शीज कर दिया है। खदानों कि निगरानी ड्रोन कैमरों से की जा रही है। मामले के अनुसार पूर्व में कांडा तहशील के ग्रामीणों ने मुख्य न्यायधीश को पत्र भेजकर कहा था कि अवैध खड़िया खनन से उनकी खेतीबाड़ी, घर, पानी की लाइनें चोबट हो चुकी है। जो धन से सपन्न थे उन्होंने अपना आशियाना हल्द्वानी व अन्य जगह पर बना दिया है। अब गावों में निर्धन लोग ही बचे हुए। उनके जो आय के साधन थे उनपर अब खड़िया खनन के लोगों की नजर टिकी हुई है। इस सम्बंध में कई बार उच्च अधिकारियो को प्रत्यावेदन भी दिए लेकिन उनकी समस्या का कुछ हल नही निकला। इसलिए अब हम न्यायलय की शरण मे आये है। उनकी समस्या का समाधान किया जाय।