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तो क्या वास्तव में मिल गए वासुकी नाग के अवशेष! सोशल मीडिया पर दावा, जानें क्या है चौंकाने वाला सच?

So were the remains of Vasuki Nag actually found? Claim on social media, know what is the shocking truth?

हिंदू धर्म ग्रंथो और पुराणों में जिस वासुकी नाग का जिक्र किया गया है क्या उसके अवशेष वास्तव में मिल गए है? सोशल मीडिया में यही दावा किया जा रहा है। दरअसल उत्तराखंड के आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों को गुजरात में साल 2005 में 27 बड़े बड़े जीवाश्म मिले थे जिसको लेकर अब चौंकाने वाला सच सामने आया है, जो इस दावे को सच साबित कर सकता है।

आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर सुनील बाजपेयी और पोस्ट-डॉक्टरल फेलो देबजीत दत्ता ने सांप की एक प्राचीन प्रजाति से पर्दा उठाया,जिसे शुरू में विशाल मगरमच्छ के अवशेष माना जा रहा था,लेकिन आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों द्वारा की गई एक स्टडी में पता चला है कि ये दुनिया के सबसे बड़े सांपों में से एक के जीवाश्म हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये दुनिया के अब तक के सबसे बड़े सांपों में से एक था,इसे वासुकी इंडिकस नाम दिया गया है। अब ये नाम रखने के पीछे क्या समुंद्र  मंथन से कोई कनेक्शन है, जिसका जिक्र पुराणों में मिलता है ? इसको लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि माइथोलॉजी में भगवान शिव के गर्दन में लिपटे सांप वासुकी के नाम से प्रेरित होकर नाम रखा है, शायद इसीलिए आज लोग इसे समुद्र मंथन और वासुकी नाग से जोड़कर देख रहे हैं। आस्था का सम्मान है लेकिन प्रामाणिकता के आधार पर दोनों में संबंध नहीं है, सिर्फ नाम रखने के लिए वासुकी नाम दिया गया है। फॉसिल्स की स्टडी करने में 6 महीने का समय लगा है,ये सच है कि यह सांप अन्य सांपों से बिल्कुल अलग है। दोनों सांपों का आपस में संबंध नहीं है, सांप की लंबाई 11-15 मीटर के बीच हो सकती है इस प्रजाति के सांप के अवशेष नॉर्थ अफ्रीका में मिलते हैं।

तो वासुकी इंडेक्स क्या है?

वासुकी' नाम भगवान शिव के गले में लिपटे हुए नाग से लिया गया है,वहीं इंडेक्स शब्द का मतलब है 'भारत का'। ये नाग उस समय रहते थे जब धरती का वातावरण गर्म था यानी औसत तापमान करीब 28 डिग्री सेल्सियस रहा होगा। इतना बड़ा नाग इतने गर्म मौसम में ही रह सकता था, जैसा करोड़ों साल पहले हुआ करता था। वासुकी इंडेक्स सांप की हड्डियों में कुछ खास निशान पाए गए हैं जो इसे दूसरे सांपों से अलग बनाते हैं. जैसे इस सांप की रीढ़ की हड्डियों के बीच में छोटे-छोटे गड्ढे दिखाई देते हैं, जो अक्सर मैड्सोइडी सांपों में ही मिलते हैं। इसका आकार मैड्सोइडी सांप जैसा है।

इस सांप में कुछ खास हिस्से देखने को नहीं मिले जो दूसरे सांपों में होते हैं। ये इसको और भी अलग बनाते हैं, 22 हड्डियों को वैज्ञानिक रीढ़ के अगले हिस्से की बता रहे हैं क्योंकि इनमें कुछ खास निशान नहीं मिले जो रीढ़ के पीछे के हिस्से में होते हैं।सबसे अलग बात है कि इसकी हड्डियां असाधारण रूप से बड़ी हैं। अब तक पाए गए किसी भी मडत्सोइडी सांप की हड्डी इनसे बड़ी नहीं थी। इनकी रीढ़ की हड्डी का आकार फावड़े जैसा है। रीढ़ के नीचे की एक हड्डी का कुछ हिस्सा पूरी तरह से विकसित नहीं है जो इसे और भी अलग बनाता है। इस सांप की रीढ़ के नीचे के एक हिस्से का किनारा तेज धार वाला है।