नैनीताल: पालिकाध्यक्ष प्रत्याशी सरस्वती खेतवाल! शहर की नालियों में घुसकर करती हैं सफाई, नंगे पैर चलकर की थी झील बचाने की अपील, पूरे साल रक्तदान शिविर से करती हैं लोगों की मदद, कोरोना काल में गांव-गांव उपलब्ध करवाया था राशन,अब जनता का मिल रहा भारी समर्थन

"हुकूमतों को बदलना तो कुछ मुहाल नहीं, हुकूमतें जो बदलता है वो समाज भी हो" निदा फ़ाज़ली का ये शेर अक्सर चुनाव के समय लोगों की ज़ुबान पर रहता है। समाज हुकूमत तभी बदल पता है जब वो नई हुकूमत के रूप में निष्पक्ष ईमानदार और निस्वार्थ समाज सेवी को वोट देता है। इन दिनों उत्तराखंड में निकाय चुनावों का शोर है और नैनीताल जैसे ठंडे मौसम वाले शहर में चुनावी गर्मियां चरम पर हैं।
पालिकाध्यक्ष के पद के लिए इस बार समाज सेविका सरस्वती खेतवाल चुनावी मैदान में उतरी है। निस्वार्थ समाजसेवा करने वाले मौजूदा दौर मेंं कम ही मिलते हैं। नैनीताल बचाओ अभियान हो या निर्धन मेधावियों की पढ़ाई से लेकर बेहतर भविष्य बनाने के लिए मदद करना हो या अस्पताल में मरीजों की सेवा, सरस्वती खेतवाल जरूरतमंद की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती हैं।
न कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा रही, न कभी कोई लालच रहा, निस्वार्थ भाव से कई वर्षों से सरस्वती खेतवाल शहर के लिए काम करती आई है। 2013 में जब नैनीताल के नयना देवी मंदिर के समीप सेवा समिति भवन जब अचानक आग लगने से जलकर खाक हो गया था तब सरस्वती खेतवाल ने भवन के पुनर्निर्माण के लिए समिति के अध्यक्ष शंकर जोशी के साथ मिलकर 70 लाख से अधिक की धनराशि जुटाई, इसके अलावा उन्होंने स्वयं निजी स्तर पर करीब 50 लाख रुपए जुटाकर भवन के पुनर्निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाई।
नैनीझील के जल को मानसरोवर के जल जितनी महत्ता दी जाती है इसके संरक्षण के लिए सरस्वती खेतवाल ने स्थानीय लोगो के साथ मिलकर साल 2017 में मॉल रोड में नंगे पैर मार्च तक निकाली थी,नैनीताल बचाओ अभियान में दिनरात काम करने वाली सरस्वती खेतवाल नालियों की साफ सफाई के लिए खुद नालों में जाकर सफाई करती अक्सर दिखाई देती हैं, जो किसी भी उम्रदराज महिला के लिए शायद ही मुमकिन है।
सरस्वती खेतवाल ने शहर और आसपास के गरीब निर्धन बच्चों की मदद के लिए डीडीएस चाइल्ड फाउंडेशन तक बनाया,जिसमें पहले ही चरण में 30 बेहद निर्धन परिवारों के कक्षा दो से कक्षा 12 तक के 30 बच्चों को सवा लाख से अधिक धनराशि की छात्रवृत्ति दी गई थी,
इतना ही नहीं खेतवाल की ओर से 30 मेधावी विद्यार्थियों का पढ़ाई खर्च भी उठाया जा रहा है।
रेड क्रॉस सोसाइटी से जुड़ी सरस्वती खेतवाल अब तक सैकड़ों रक्तदान शिविर लगवा चुकी है,और जिला अस्पताल बीडी पांडे में अक्सर रक्तदान और मरीजों की सेवा के लिए अपनी टीम सहित मौजूद रहती हैं।
बीडी पांडे अस्पताल में कोई भी मरीज हो वो सरस्वती खेतवाल का चेहरा हमेशा याद रखता है, रूबी नाम की एक महिला ने बताया कि कोरोना काल में जब उसका बेटा हॉस्पिटल में भर्ती था तब सरस्वती खेतवाल ने न सिर्फ पैसे से उसकी मदद की बल्कि हॉस्पिटल में जब तक उसका बेटा भर्ती रहा सरस्वती खेतवाल ने प्रतिदिन आकर दवाई इत्यादि की व्यवस्था भी की और हालचाल पूछती रही, कोरोना काल के उस भयावह दौर में जब लोग एक दूसरे के पास खड़े होने से भी बचते थे तब सरस्वती खेतवाल अस्पताल जाकर मरीजों की मदद करती थी,और गांव गांव जाकर लोगो के लिए राशन की व्यवस्था करती थी। अस्पताल में उन्हें कई मरीज साइड बैग वाली मददगार सरस्वती दीदी कहते हैं।
सरस्वती खेतवाल ने चुनावी मैदान में उतरने के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि मुझे शहर के लिए काम करना अच्छा लगता है, इसीलिए नालियों की साफ सफाई हो या नैनीताल बचाओ अभियान के तहत नंगे पैर मार्च निकालना हो, मेरी हर संभव कोशिश रहती है कि मैं जो भी कार्य करूं उससे लोगो को भला हो, जहां तक नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए खड़े होने का सवाल है तो पिछले कई सालों से जो कमियां मै शहर में देख रही हूं और उन कमियों के लिए बार बार ज्ञापन देती रही हूं,लेकिन ज़्यादातर समस्याएं ज्यों की त्यों ही बनी रही,इसीलिए लगा कि अब मुझे उन कमियों को सुधारने के लिए स्वयं आगे आना चाहिए और ये सिर्फ तभी मुमकिन है जब चुनाव में मै जीत हासिल करूं उसके लिए जनता जनार्दन से मेरी अपील है कि आप कार्यों के आधार पर वोट करें।
सरस्वती खेतवाल ने ये भी कहा कि महिलाएं समाज की रीढ़ है और परिवार के साथ साथ समाज को मजबूत बनाती है महिला सशक्तिकरण के लिए मैं हमेशा प्रतिबद्ध हूं, यदि नगर पालिका अध्यक्ष पद पर मै जीतती हूं तो समाज की बेहतरी के लिए हर संभव कार्य किए जाएंगे। उन्होंने अपने लक्ष्यों पर बात करते हुए कहा कि शिक्षा स्वास्थ्य, सामाजिक समरसता, एकता, आर्थिक विकास, नशामुक्त नैनीताल, शिक्षा और शहर का सर्वांगीण विकास मेरा लक्ष्य है।