नैनीतालः लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन बही सांस्कृतिक विविधता की बयार! कवियों ने बांधा समां, साहित्य-संगीत जैसे विविध विषयों पर हुई चर्चा

Nainital: Cultural diversity blew on the second day of the Literature Festival! Poets enthralled the audience, discussions took place on various topics like literature and music

नैनीताल। नैनीताल साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन कविता, साहित्य, नृत्य, खाद्य संस्कृति, वित्त और संगीत जैसे विविध विषयों पर चर्चा ने श्रोताओं को आकर्षित किया। कार्यक्रम का संचालन अवनी त्रिपाठी द्वारा किया गया व फेस्टिवल फाउंडर, लेखनी फाउंडेशन के चेयरपर्सन अमिताभ सिंह बघेल द्वारा उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। फेस्टिवल की शुरुआत तिब्बती कार्यकर्ता कवि तेनज़िन सुंदुए के काव्य पाठ से हुई, जिन्हें अपने सक्रियतावाद के लिए 16 बार जेल जाना पड़ा है। उनकी कविताओं में पहचान और सांस्कृतिक संघर्ष के विषय, विशेष रूप से भारत में जन्मे तिब्बती होने की दोहरी चुनौतियों को उजागर किया गया। सुंदुए ने दिखाया कि कैसे विदेशी भाषा भी पहचान की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सकती है। कविता की बोली में साहित्यिक हस्तियों इंदु पांडे और रिचा रुद्रा ने पांडे की महत्वपूर्ण कृति ‘द्विज’ (बॉर्न इन हेवन) पर विद्वतापूर्ण चर्चा की, जिसमें समकालीन हिंदी कविता के अध्यात्मिक आयामों की खोज की गई। इंक ऑफ रेजिस्टेंस सत्र में ज्योत्सना मोहन और आलोक शाह ने मोहन की पुस्तक ‘प्रताप’ पर बातचीत की, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम और विभाजन के दौरान समानामी अखबार की भूमिका का वर्णन करती है।

मोहन ने बताया कि उन्होंने पंजाब में आतंकवाद के दौर में अपने पिता को पुस्तक लिखने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि अवांछित ध्यान से बचा जा सके। दिन का प्रमुख आकर्षण डांस ऑफ द गॉड्स था, जिसमें डॉ. राजेश्वरी सैनाथ, जो सिडनी ओपेरा हाउस में प्रदर्शन करने वाली पहली भरतनाट्यम नर्तकी हैं उन्होंने अपर्णा कांडा के साथ चर्चा की। फेस्टिवल में उनके जीवंत भरतनाट्यम प्रदर्शन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जिसमें उन्होंने रामायण के पात्रों को नृत्य के माध्यम से जीवंत किया। डॉ. सैनाथ ने गणितीय नृत्य पर अपने शोध के बारे में भी बताया, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे नृत्य की ताल विशेष संख्यात्मक पैटर्न का अनुसरण करती है। ‘टेस्टिंग द वर्ल्डः फूड, ट्रैवल, एंड लाइफ’में अभिनेत्री आहना कुमरा, खाद्य इतिहासकार पुष्पेश पंत, यात्रा विशेषज्ञ शहनाज ट्रेजरी और लेखिका शोभा डे शामिल थे। ट्रेजरी ने बताया कि खाना मानव स्मृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैए जबकि डे ने प्रकाशन में लेखकों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की। कन्फेशंस ऑफ स्टॉक मार्केट विज़ार्ड्स में सफीर आनंद ने निवेश संबंधी जानकारी साझा की, जबकि एपिक टेल्स में लेखक आनंद नीलकंठन और समीर संधीर ने भारतीय पौराणिक कथाओं की आज की प्रासंगिकता पर चर्चा की।

‘धरोहरः कुमाऊं की विरासत’ में अशोक पांडे और इंद्रजीत ने आलोक शाह के साथ कुमाऊं की स्थानीय परंपराओं जैसे चैती और भितौली पर चर्चा की और भोटिया (रंग) समुदाय की व्यापारिक परंपराओं पर भी चर्चा की, जिन्हें 1968 में अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला था। अभिनेत्री आहना कुमरा ने अनफिल्टर्ड सत्र में अपनी यात्रा के बारे में बताया, जिसमें बहन के साये में बड़े होने और अभिनय के क्षेत्र में अपने सफर के बारे में बताया। उन्होंने अपनी फिल्म लिपस्टिक अंडर माय बुर्का में अपने किरदार के बारे में बात की और बताया कि कैसे टोक्यो फिल्म फेस्टिवल में इस फिल्म ने जापानी दर्शकों को भी प्रभावित किया। द न्यू ग्रेट गेम में विशेषज्ञ अनिरुद्ध गुप्ता, पुष्पेश पंत, टीसीए राघवन और विकास स्वरूप ने भूपेंद्र चौबे के साथ वैश्विक राजनीति, पहलगाम हमले और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बदलती भूमिका पर चर्चा की। दिन का समापन व्हिस्पर्स इन द विंड भारतीय समकालीन संगीत कार्यक्रम से हुआ, जिसमें कामाक्षी खन्ना द्वारा पारंपरिक और आधुनिक तत्वों का मिश्रण प्रस्तुत किया गया व जिसने सभी दर्शकों का मनोरंजन किया।