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रहस्यमयी भीमकुण्ड:वैज्ञानिक भी नही सुलझा पाए भीमकुण्ड का रहस्य!प्राकृतिक आपदाओं से पहले भीमकुण्ड देता है संकेत!डिस्कवरी चैनल भी उपकरण लगाकर हो गए थे हैरान

Mysterious Bhimkund: Even scientists could not solve the mystery of Bhimkund! Bhimkund gives signals before natural calamities! Discovery Channel was also surprised by installing equipment

हमारा देश भारत हमेशा से अध्यात्म का केंद्र रहा है। यहाँ सनातन संस्कृति से जुड़े हजारों धार्मिक स्थल आज आज भी मौजूद हैं जिनमें से कई तो सैकंडों वर्ष पुराने हैं। यहाँ के बहुत से स्थान अपने भीतर कई रहस्यों को छुपाए हुए है भीमकुंड का रहस्य ऐसे हैं जिन्हें आज तक कोई भी नहीं सुलझा सका है।

ऐसे ही एक रहस्मयी कुंड के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आप भी अचंभित रह जायेंगे हम बात कर रहे हैं भीमकुंड की। चलिए जानते हैं कहाँ है ये भीमकुंड और क्या है इसके पीछे का रहस्य जो सभी को हैरान कर देता है।


यह कुंड मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित बाजना गांव में मौजूद है। इस कुंड को दूर-दूर से लोग देखने आते हैं। बताया जाता है कि, इस कुंड का संबंध महाभारत काल से है। जी हां! इन पौराणिक कथाओं में सबसे प्रचलित महाभारत काल की एक कथा है।  बताया जाता है कि इसका निर्माण महाभारत काल के समय पांडवों के अज्ञातवास के वक़्त हुआ था। ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास का कुछ वक़्त इस क्षेत्र में व्यतीत किया था। जब वे इस क्षेत्र से गुज़र रहे थे तब द्रौपदी को प्यास लगी। पांडवों द्वारा आस-पास काफी ढूँढने के बाद भी पानी नहीं मिला।  फिर भीम ने अपनी गद्दा के प्रहार किया और भूमि की कई परतें तोड़ दी जिससे जल दिखाई देने लगा।

 

लेकिन अभी जल स्रोत भूपटल से लगभग 30 फीट गहराई के करीब था। कुंड में से जल मार्ग बनाने के लिए भीम ने अर्जुन से कहा कि वह अपने धनुर्विद्या के कौशल से जल का मार्ग बनाएं।

भीम का सुझाव पाकर अर्जुन ने अपने धनुर्विद्या के बल पर  कुंड तक जाने के लिए सीढ़ियों का निर्माण कर दिया  जिनके  माध्यम से द्रोपति  कुंड के जल तक पहुंच सके।

भीम ने अपनी गदा के बल पर इस कुंड का निर्माण कर डाला और फिर द्रौपदी समेत पांचो पांडवों ने इस कुंड के जल को पीकर अपनी प्यास बुझाई,क्योंकि भीम ने अपनी गदा के प्रहार से भूमि की परतें तोड़कर इस कुंड का निर्माण किया यही कारण है कि इस कुंड का नाम भीमकुंड पड़ा। तभी इस कुंड की आकृति बिल्कुल गदा की तरह है। इस कुंड से जुड़ी एक और मान्यता है कि, जब भी देश पर कोई प्राकृतिक आपदा या संकट आता है, उससे पहले ही यहां का पानी बढ़ने लगता है। लोग कुंड के बढ़ते पानी के स्तर को देख खतरे का अंदाजा लगाते हैं।

कहा जाता है इस कुंड की गहराई इतनी ज्यादा है कि इसे नापने के लिए लगाए गए तमाम यंत्र तक फेल हो चुके हैं, लेकिन इसटी सटीक जानकारी किसी को नहीं मिल सकी है।

 

ये कुंड इतना रहस्यमयी है कि, वैज्ञानिक तक इसकी गहराई की गुत्थी को सुलझा नहीं सके हैं। बताया जाता है कि, डिस्कवरी चैनल ने इसकी गहराई नापने के लिए तमाम उपकरण लगाए थे। साथ ही वैज्ञानिकों की टीम ने भी इसकी जांच की थी, लेकिन सभी के हाथ निराशा ही लगी। एक बार विदेशी वैज्ञानिकों ने कुंड की गहराई पता करने के लिए 200 मीटर पानी के अंदर तक कैमरा भेजा था, लेकिन फिर भी गहराई पता नहीं चल सकी। इस कुंड के बारे में यह भी कहा जाता है कि इसका पानी गंगा की तरह बिल्कुल पवित्र है और यह कभी खराब नहीं होता है।