भरदार पट्टी और रुद्रप्रयाग की रक्षक मानी जाती हैं मां मठियाणा,नवरात्रि में दर्शन के लिए उमड़ता है भक्तों का रेला

Maa Mathiyana is considered the protector of Bhardar Patti and Rudraprayag, devotees flock to see her during Navratri

प्रवीन रावत/नवरात्रि स्पेशल

रुद्रप्रयाग। जिले में एक ऐसा प्रसिद्ध सिद्धपीठ है, जहां की मान्यता है कि जब कोई भक्त कष्ट में मां भगवती को पुकारता है तो मां भगवती उसके कष्ट को दूर करने के साथ ही मां के भक्त को कष्ट पहुंचाने वाले को भी नुकसान पहुंचाती है। अब तक कई लोगों के साथ चमत्कार भी हुए हैं तो हजारों भक्तों की मुराद भी पूरी होते हुए देखा गया है। मंदिर को लेकर एक और बड़ी मान्यता है कि कोई भी साधु-संत यहां साधना नहीं कर पाया, जिसने भी इस स्थल पर साधना करने की कोशिश की, मां ने उसे उसी समय यहां से भगा दिया।

उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से नजदीक भरदार पट्टी स्थित मठियाणा खाल गांव में मां मठियाणा का मंदिर विराजमान है। यह तीर्थ स्थल हिल स्टेशन के लिए भी प्रसिद्ध है। बुग्यालों के बीच स्थित मां मठियाणा मंदिर के चारों ओर जहां हरा-भरा है, वहीं पैदल रास्तों पर बांज-बुरांश के वृक्षों से यह स्थल काफी सुंदर भी नजर आता है। यह खूबसूरत मंदिर हरे-भरे पहाड़ों से घिरा हुआ है। पूरे साल हजारों की संख्या में तीर्थयात्री यहां पहुंचकर मां की पूजा-अर्चना करते हैं। पंडित सतीश सेमवाल ने बताया कि मां मठियाणा का मंदिर सिद्धि के लिए नहीं है। जिस किसी व्यक्ति या साधु-संत ने इस स्थल पर सिद्धि करने का प्रयास किया तो मां ने उसे यहां से भगा दिया। मां का सच्चा भक्त जब कष्ट में पुकारता है तो मां मठियाणा अपने भक्त की रक्षा करने के साथ ही उनके भक्त को परेशान करने वाले को भी सबक सिखाती है। मां मठियाणा देवी को कोई साध नहीं सकता है। मां के दर्शन भद्र रूप में होते हैं। मठियाणा गांव के समीप होने के कारण इस सिद्धपीठ का नाम मां मठियाणा पड़ा, वहीं यहां लाल मिट्टी के बडे़ के बडे़ खंड हैं। मटखाणी होने के कराण भी यहां का नाम मठियाणा पड़ा है। भगवती का यहां आप लिंग है, जो स्वयं प्रकट हुआ है। इसके बारे में एक किवदंती प्रचलित है कि सौंदा गांव की एक गाय यहां आकर लिंग पर स्वयं दूध चढ़ाती थी। इसके बाद लोग यहां भगवान शिव की पूजा करने लगे। यहां भगवती के अनेकों स्वरूप हैं। माना जाता है कि भक्तों के मार्ग से विचलित होने पर भगवती वृद्ध के रूप में आकर रास्ता दिखाती है। यहां भगवती के तीन रूपों की पूजा होती है। मां को बालासुन्दरी, धूमावती व पीताम्बरा के रूप में पूजा जाता है। यहां जो मां का खड्ग है, वही सुरंकडा मंदिर में भी हैं। जो केश यहां विराजमान हैं वे कुंजापुरी में हैं। कालीमठ में जो खप्पर है, वो यहां पर भी है। लोक कथाओ में मां मठियाणा का वर्णन मिलता है। लोक कथाओं में वर्णन है कि मां मठियाणा कलकत्ता से यहां आयी।

माता सती के मृत शरीर का गिरा था अंश
रुद्रप्रयाग। मां मठियाणा को लेकर बताया जाता है कि जब भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को लेकर आकाश में भटक रहे थे, तब भगवान विष्णु ने उनके शरीर को कई टुकड़ों में काट दिया और उनका एक शरीर का हिस्सा रुद्रप्रयाग जिले के भरदार पट्टी में गिरा। माता भगवती मां मठियाणा देवी उत्तराखंड की सबसे शक्तिशाली देवियों में से एक है। मां मठियाणा देवी अपनी मातृवत प्रकृति के लिए जानी जाती हैं। उनके दो रूप हैं, एक जो शांति को दर्शाता है वह मठियाणा खाल गांव में है और दूसरा उनका काली रूप कालीमठ में है। मां को भरदार पट्टी और रुद्रप्रयाग की रक्षक माना जाता है।

मां ने नहीं होने दिया सड़क मार्ग का कार्य
रुद्रप्रयाग। मां मठियाणा पहुंचने के लिए कई मार्ग हैं, जहां जवाड़ी-रौठिया, सौंराखाल-घेंघड़खाल, क्वीलाखाला व सकलाना तक सड़क मार्ग से जाने के बाद दो से तीन किमी का पैदल सफर तय करना पड़ता है। स्थानीय ग्रामीणों की माने तो जब भी इस धार्मिक स्थल के लिए सड़क बनाने की कार्यवाही हुई तो कोई ना कोई विघ्न जरूर उत्पन्न हुआ है। मां स्वयं नहीं चाहती कि उनके क्षेत्र में किसी भी पत्थर के साथ छेड़छाड़ हो। इसलिए मां का मंदिर बुग्यालों से घिरा हुआ है, जो बहुत ही भव्य नजर आता है। पंडित सतीश सेमवाल ने बताया कि मां का मंदिर चारों ओर से बुग्यालों के बीच में स्थित है। यहां बांज-बुरांश का जंगल है। जब भी यहां सड़क निर्माण को लेकर कार्यवाही शुरू हुई तो कोई ना कोई विघ्न जरूर पैदा हुआ है।