क्या ‘ग्रहों की परेड’ एक दुर्लभ घटना है? एरीज नैनीताल के वैज्ञानिकों ने बताई वास्तविकता, जानें क्या है सच्चाई

नैनीताल। आगामी 25 जनवरी को आसमान में एक दुर्लभ खगोलीय घटना होने की बात कही जा रही है। खबरों में मुताबिक इस दौरान ग्रहों की परेड होगी और कई ग्रह एक सीधी रेखा में दिखाई देंगे। खबर तो यहां तक है कि ग्रह एक ही स्थान पर ‘अलाइन’ होने वाले हैं। इस मामले को लेकर नैनीताल एरीज के वैज्ञानिक मोहित जोशी और वीरेन्द्र यादव ने बताया कि वास्तविकता यह है कि न तो ये ग्रह एक ही स्थान पर ‘अलाइन’ होने वाले हैं, न ही 25 जनवरी को लेकर कुछ खास है। बल्कि सारे ग्रह लगभग एक सीधी रेखा में हमेशा ही दिखाई देते हैं। ‘ग्रहों की परेड’ एक अनौपचारिक शब्द है और ऐसा दिसंबर के अंत से शुरू होकर लगभग 2 महीने तक होने वाला है। यह कोई बहुत दुर्लभ खगोलीय घटना भी नहीं है, क्योंकि पिछली बार जून-जुलाई 2022 में भी ऐसी घटना हुई थी।
उन्होंने बताया कि सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा, जिसे क्रांतिवृत्त (अंग्रेजी में एक्लिप्टिक) कहा जाता है, को बहुत से खगोलीय प्रेक्षणों के लिए संदर्भ के रूप में लिया जाता है। जिस तरह से हमारे सौर मंडल की उत्पत्ति हुई, उसके कारण सभी ग्रह लगभग एक ही प्रतल में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। वहीं प्रतल जिसमें क्रांतिवृत्त स्थित है। इसलिए, पृथ्वी से देखने पर सभी अन्य ग्रह रात के आकाश में अलग-अलग समय पर लगभग एक सीधी रेखा में प्रतीत होते हैं। कल्पना कीजिए कि आप एक विशाल चूड़ी के अंदर हैं और अन्य ग्रहों को इस चूड़ी के बराबर चलते हुए देख रहे हैं।
चूंकि ग्रह अलग-अलग दूरी की कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करते हैं, वे ऐसा अलग-अलग अवधि में करते हैं। उदाहरण के लिए, पृथ्वी के एक दिन को इकाई मानें तो बुध को 88 दिन लगते हैं, शुक्र को 225 दिन लगते हैं, पृथ्वी को लगभग 365 दिन लगते हैं और इसी तरह अन्य ग्रहों को और अधिक समय। परिणामस्वरूप, जब तक सूर्य से दूर का कोई ग्रह एक चक्कर पूरा करता है, तब तक पास का एक ग्रह एक से अधिक चक्कर पूरा कर चुका होता है। कुछ वर्षों के दौरान ऐसे कई अवसर होंगे (कुछ दिनों से लेकर कई महीनों की अवधि तक) जब कई ग्रह हमें रात को आकाश में एक समय पर दिखाई देंगे। बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि इतने चमकदार हैं कि वे खुली आंखों से भी चमकीले तारों की तरह दिखाई देते हैं। उनके आकार को स्पष्ट रूप से देखने के लिए एक छोटा टेलिस्कोप पर्याप्त है। यूरेनस और नेपच्यून इतने धुंधले हैं कि वे खुली आंखों से नहीं देखे जा सकते और टेलिस्कोप में भी केवल बिंदु सरीखे दिखाई देते हैं।
दरअसल, जून 2024 से ही सूर्योदय से पहले एक ही समय पर शनि, नेपच्यून, यूरेनस, बृहस्पति और मंगल ग्रह आकाश में मौजूद थे। वर्षा ऋतु समाप्त होने के बाद इन सभी को आधी रात के आसपास एक समय पर देखा जा सकता था। शुक्र भी सूर्यास्त के बाद पश्चिमी आकाश में मौजूद था, लेकिन बृहस्पति और मंगल के उदय होने तक यह अस्त हो रहा था। नवंबर माह के अंत तक मंगल को छोड़कर ये सभी ग्रह शाम को आकाश में दिखाई देने लगे और दिसंबर का अंत होते-होते ये सभी सूर्यास्त के कुछ घंटों बाद देखे जा सकते थे, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। वे फरवरी के तीसरे सप्ताह तक सूर्यास्त के बाद दिखाई देंगे, जिसके बाद शनि ग्रह आकाश में सूर्य के बहुत करीब प्रतीत होगा और इसे देखना मुश्किल हो जाएगा।
इसलिए यद्यपि यह ‘ग्रहों की परेड’ कोई बहुत दुर्लभ खगोलीय घटना नहीं है, यह शाम को आकाश में कई ग्रहों को एक साथ देखने और हमारे ब्रह्मांड की सुंदरता का लाभ उठाने का एक अच्छा अवसर है। उन्होंने कहा कि यदि आपके पास टेलिस्कोप है, तो इस अवसर का लाभ अवश्य उठाएं। यदि नहीं, तो हम आपको एरीज या ऐसे ही अन्य खगोल विज्ञान अनुसंधान संस्थानों, तारामंडलों (प्लेनेटेरियम), विज्ञान केंद्रों या शौकिया खगोल विज्ञान संगठनों में जाकर दूरबीनों के माध्यम से इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। वहीं इसको लेकर एरीज के सहयोगी संस्थान IIA बेंगलूर द्वारा एक वीडियो भी बनाया गया है, जिसमें सबकुछ विस्तार से समझाया गया है।