कैसे पार होगी नैय्याः निकाय चुनाव में भी खुलकर दिख रही कांग्रेस की गुटबाजी!  खेड़ा के नामांकन में नजर नहीं आया कोई भी बड़ा चेहरा, शेर-ए-तराई ने भी बनाई दूरी 

How will the boat sail: Congress' factionalism is clearly visible in the civic elections too! No big face was seen in Kheda's nomination, Sher-e-Tarai also kept a distance

रुद्रपुर। जनपद ऊधम सिंह नगर के जिला मुख्यालय रुद्रपुर में फिर एक बार कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर सामने आई है। कांग्रेस प्रत्याशी मोहन खेड़ा के नामांकन के दौरान पार्टी से कोई भी बड़ा चेहरा शामिल न होना कहीं न कहीं गुटबाजी को बयां करता है। बता दें कि जैसे ही नामांकन का आखिरी दिन आया, रुद्रपुर में कांग्रेस पार्टी के भीतर की तकरार ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी मोहन खेड़ा ने बीते रोज सोमवार को नामांकन पत्र डीएम कार्यालय में दाखिल किया, लेकिन इस प्रक्रिया से ज्यादा चर्चा कांग्रेस के भीतर चल रही गुटबाजी की रही। खासकर जब इतने अहम मौके पर किसी भी बड़े चेहरे का ना नजर आना और इतना ही नहीं किच्छा के विधायक तिलक राज बेहड़ का इस मौके पर नदारद रहना कांग्रेस में मची गुटबाजी को उजागर करता है।

तिलकराज बेहड़ जो रुद्रपुर से लगातार कई बार विधायक रह चुके हैं और कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहे हैं, नामांकन के दिन ना तो रैली में दिखाई दिए और ना ही मोहन खेड़ा के साथ नामांकन प्रक्रिया में कलेक्टªेट परिसर पहुंचे। यह भी बता दें कि कांग्रेस में तिलक राज बेहड़ और मोहन खेड़ा के बीच पुरानी दूरी रही है और यह गुटबाजी चुनावी माहौल में भी स्पष्ट दिखाई दी। मोहन खेड़ा को हिमांशु गाबा गुट का माना जाता है, जबकि तिलक राज बेहड़ गाबा गुट से अलग अपने रास्ते पर चलने वाले नेता हैं। इस गुटबाजी के चलते तिलक राज बेहड़ रुद्रपुर नगर निगम के मेयर प्रत्याशी के नामांकन में शामिल होने के बजाय, लालपुर नगर पंचायत के कांग्रेस प्रत्याशी के साथ नामांकन दाखिल करने डीएम कार्यालय पहुंचे। वहीं इस बीच कांग्रेस पार्टी में एक और राजनीतिक खींचतान भी सामने आई है, जहां पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल को पार्टी में एंट्री न मिलने का कारण भी गुटबाजी ही बताया जा रही है। माना जाता है कि मीना शर्मा की ओर से पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल के खिलाफ विरोध जताए जाने के कारण उनकी कांग्रेस में एंट्री नहीं हो पाई। शहर में चर्चा है कि यदि ठुकराल को कांग्रेस से टिकट मिलता, तो वे रुद्रपुर नगर निगम की मेयर सीट को आसानी से जीतकर कांग्रेस की झोली में डाल सकते थे। लेकिन गुटबाजी के कारण पार्टी ने उन्हें बाहर ही रखा।