HMPV वायरसः लगातार बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय अलर्ट! राज्यों को दिए सर्तक रहने के निर्देश, जानें क्या है तैयारी?

नई दिल्ली। भारत में एचएमपीवी वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जिसके चलते स्वास्थ्य मंत्रालय सक्रिय हो गया है। हालांकि अच्छी बात यह है कि सांस से संबंधित बीमारियों में वृद्धि नहीं हुई है। लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय ने सांस संबंधी बीमारियों की पहचान करने के लिए सभी राज्यों को SEVERE ACUTE RESPIRATORY ILLNESS (SARI) और इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस (ILI) के लिए निगरानी बढ़ाने की सलाह दी है। कर्नाटक के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने INTEGRATED DISEASE SURVEILLANCE PROGRAMME (IDSP) एक बैठक के दौरान SARI और ILI मामलों पर सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए। अधिकारी ने कहा कि एक सलाह दी गई है कि सभी एसएआरआई मामलों का परीक्षण (एचएमपीवी के लिए) किया जाना चाहिए और परीक्षण के लिए किट राज्यों को भेजे जाएंगे। कर्नाटक सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने राज्य के भीतर सामान्य सर्दी, आईएलआई और एसएआरआई जैसे सांस वाले संक्रमणों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है और पिछले वर्ष की तुलना में दिसंबर 2024 में रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या में कोई बड़ी वृद्धि नहीं हुई है। सोमवार को सभी राज्यों की आईडीएसपी समीक्षा में भी देश में सांस संबंधी संक्रमण में कोई बड़ी वृद्धि नहीं होने की सूचना दी गई। हालांकि इसने संकेत दिया कि दिसंबर में भारत में एचएमपीवी के 9 मामले पाए गए, जिनमें शून्य मृत्यु दर थी।
जानें क्या है HMPV मामलों की दर
714 संदिग्ध मामलों की जांच के बाद देश में दिसंबर 2024 में एचएमपीवी के लिए 1.3 प्रतिशत की घटना दर्ज की गई। दिसंबर में रिपोर्ट किए गए 9 मामलों में पुडुचेरी से चार, ओडिशा से दो और त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से एक-एक मामले शामिल थे। सभी मरीज ठीक हो गए। जनवरी में अब तक रिपोर्ट किए गए तीन मामलों में बेंगलुरु में एक तीन महीने के बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, जबकि एक आठ महीने का बच्चा भी ठीक हो रहा है। अहमदाबाद के मामले में मरीज ठीक हो गया है और उसे छुट्टी दे दी गई है। आईडीएसपी डेटा के अनुसार, देश में आईएलआई या एसएआरआई मामलों में कोई असामान्य वृद्धि नहीं हुई है। आईडीएसपी आने वाले दिनों में आईएलआई और एसएआरआई प्रवृत्तियों की निगरानी करेगा और रोग निगरानी कार्यक्रम के तहत राज्य और जिला इकाइयों को भी ऐसा करने के लिए कहा गया है।