हल्द्वानी: दीक्षांत इंटरनेशनल स्कूल में उत्तराखंड की रजत जयंती के “रंगीलो पहाड़” कार्यक्रम में झलकी उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति!राज्य की ऐतिहासिक विरासत को कला प्रर्दशनी से किया चित्रित
नैनीताल, 8 नवम्बर 2025
दीक्षांत इंटरनेशनल स्कूल में उत्तराखंड स्थापना दिवस की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित वार्षिक उत्सव एवं कला प्रदर्शनी ने राज्य की जीवंत संस्कृति को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। कार्यक्रम का थीम “रंगीलो पहाड़” रखा गया, कार्यक्रम उत्तराखंड की परंपराओं, लोक कला और प्राकृतिक सौंदर्य को केंद्र में रखकर आयोजित किया गया था।

समारोह की शुरुआत मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. यशोधर मठपाल (प्रसिद्ध पुरातत्वविद्, चित्रकार एवं शैल कला संरक्षणवादी) ने दीप प्रज्ज्वलन कर की। स्कूल परिसर उत्तराखंडी लोक रंगों, सजावट और झांकियों से सजा, जो कि एक “मिनी उत्तराखंड” को प्रदर्शित कर रहा था।

विद्यार्थियों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। “उत्तराखंड मेरी मातृभूमि”, “पंच केदार”, “मां गंगा की कथा”, “चिपको आंदोलन”, “कुमाऊं स्तुति” और योगा जैसे कार्यक्रमों के जरिए राज्य की समृद्ध धरोहर को जीवंत किया गया। लोकनृत्यों में छोलिया, झोड़ा, तांदी की धूम रही, जबकि हरेला, इगास, बसंत पंचमी और बैठी-खड़ी होली जैसे पर्वों की झलक ने समां बांध दिया।

कला प्रदर्शनी में छात्रों ने “रंगीलो पहाड़” पर आधारित रचनात्मक मॉडल्स, चित्रकला और वैज्ञानिक परियोजनाएं पेश कीं, जो कला, विज्ञान और संस्कृति का अनोखा मिश्रण थीं। वरिष्ठ कक्षाओं की प्रदर्शनी ने उत्तराखंड की लोक संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत को आकर्षक ढंग से चित्रित किया।

प्रधानाचार्य रूपक पांडे ने कहा, “यह आयोजन छात्रों की रचनात्मकता और प्रदेश प्रेम का प्रतीक है।” प्रबंधक समित टिक्कू ने सराहना करते हुए बताया कि ऐसे कार्यक्रम आत्मविश्वास, सांस्कृतिक जागरूकता और टीम भावना का विकास करते हैं।
मुख्य अतिथि डॉ. यशोधर मठपाल ने प्रेरक उद्बोधन में कहा, “अपनी समृद्ध संस्कृति पर गर्व करें। नई पीढ़ी जड़ों से जुड़ेगी, तभी समाज आगे बढ़ेगा।” उन्होंने भीमताल के अपने लोक संस्कृति संग्रहालय का जिक्र कर छात्रों को वहां विजिट करने की सलाह दी।
समापन पर दीक्षांत जूनियर स्कूल की प्रधानाचार्या प्रभलीन सलूजा ने अतिथियों और अभिभावकों का आभार जताया। कार्यक्रम में नगर आयुक्त पारितोष वर्मा, कुलदीप पांडे, हितेश पन्त, रमेश द्विवेदी, पी.के. रौतेला, मनि पुष्पक जोशी, सुनील जोशी, अरविन्द और सौरभ मिश्रा सहित कई गणमान्यजन मौजूद रहे।दीक्षांत का यह उत्सव उत्तराखंड की “रंगीलो पहाड़” की आत्मा को साकार कर एक यादगार सांस्कृतिक महोत्सव बन गया।