आस्था का महापर्वः उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही सम्पन्न हुआ छठ पर्व! घाटों पर उमड़ी भीड़, हर तरफ गूंजे छठी मइया के जयकारे

Great festival of faith: Chhath festival ended with offering Arghya to the rising sun! Crowd gathered at the ghats, chants of Chhathi Maiya echoed everywhere.

देहरादून/रुद्रपुर। आस्था के महापर्व छठ का आज शुक्रवार को समापन हो गया। इस दौरान हर तरफ छठ पूजा की धूम देखने को मिली। व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर सुख-समृद्धि की कामना की। महिलाओं ने छठी मईया की पूजा कर सूर्य देवता की आरती की। चारों ओर छठी मईया और सूर्य देवता के जयकारों की गूंज रही। छठ पूजा के लिए सुबह देवभूमि के घाट दीपों की रोशनी से जगमगा उठे। इस दौरान सुबह तीन बजे से रुद्रपुर, हल्द्वानी, हरिद्वार, देहरादून, ऋषिकेश समेत विभिन्न जगहों पर छठ पूजा की धूम देखने को मिली। व्रतियों ने सूर्य के उगने का इंतजार किया। इसके बाद सुबह सूर्य उदय होते ही अर्घ्य दिया। इस दौरान घाट पर शंख, घंटी बजाकर आरती की गई और एक दूसरे को ठेकुआ का प्रसाद वितरित किया। 
बता दें कि लोक आस्था के छठ पूजा पर्व का व्रत चतुर्थी को शुरू होकर सप्तमी को संपन होता है। इस दौरान सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं और माना जाता है कि सूर्य भगवान की आराधना करने से सभी ग्रह अनुकूल हो जाते हैं। यह व्रत शादीशुदा महिलाओं के लिए ही होता है और सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ फल आदि भी अर्पित किये जाते हैं। इस व्रत को करने से सुख शांति समृद्धि के साथ मनोकामना पूर्ण होती है। परिवार के साथ ही देश का भी कल्याण होता है। विशेषकर यह व्रत महिलाओं द्वारा पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए किया जाता है। यह व्रत एक कड़ी तपस्या है। मगर इसको करने वाले को कोई कष्ट महसूस ही नहीं होता है कि उन्होंने व्रत कैसे पूर्ण किया। श्रद्धालुओं का मानना है कि यह सब भगवान का और छठी मइया की कृपा से होता है। इस व्रत की पौराणिक कहानी भी है। माना जाता है कि भगवान राम और पांडवों के समय से यह व्रत चला आ रहा है।