गांव पर मौत का साया: हरिद्वार में अस्थि विसर्जन, वापसी के दौरान एक्सीडेंट में 7 मौतें! फिर अंतिम संस्कार में गए सात युवक नदी में डूबे, दो की मौत

नई दिल्ली। राजस्थान के भीलवाड़ा से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने हर किसी को स्तब्ध कर दिया है। दरअसल भीलवाड़ा जिले के फूलिया कला गांव में ग्रामीणों ने पिछले सात दिनों में दो ऐसी दर्दनाक त्रासदियां देखीं, जिन्होंने न केवल गांव बल्कि पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया। पहले जयपुर में हुए सड़क हादसे में गांव के एक ही परिवार के सात लोग असमय काल के गाल में समा गए। ये सभी हरिद्वार से अस्थि विसर्जन कर लौट रहे थे। फिर उसी परिवार के अंतिम संस्कार कार्यक्रम में शामिल होने गए सात युवक खारी नदी में डूब गए, जिनमें से दो की मौत हो गई, एक अब भी लापता है और चार जिंदगी व मौत के बीच जूझ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक गांव के ही एक बुजुर्ग गोपाल वैष्णव का हाल ही में निधन हो गया था, जिसके बाद उनका परिवार अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार पहुंचा था, हरिद्वार से लौटते समय जयपुर में हादसा हो गया और इस हादसे में 7 लोगों की मौत हो गई। इतने बड़े हादसे से पूरे इलाके में मातम पसर गया। इस गम के आंसू अभी सूखे भी नहीं थे, की एक और हादसे ने पूरे इलाके को सन्न कर दिया।
14 सितंबर की सुबह जयपुर के शिवदासपुरा थाना क्षेत्र में फुलियाकलां गांव के दो परिवारों पर मौत बनकर कहर टूटा। हरिद्वार से अस्थि विसर्जन कर लौटते समय उनकी कार रिंग रोड पर डिवाइडर से टकराकर 16 फीट नीचे अंडरपास में भरे पानी में जा गिरी। हादसा इतना भीषण था कि कार में सवार सभी सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। रविवार दोपहर जब सातों शव गांव पहुंचे तो हर कोई गमगीन हो उठा। चीख-पुकार से माहौल गूंज उठा और पूरा गांव शोक में डूब गया। सोमवार सुबह फूलिया कला के धनेश्वर रोड स्थित श्मशान घाट पर चार शवों का सामूहिक अंतिम संस्कार किया गया। लोग इस गम से उबर भी नहीं पाए थे कि उसी दिन दूसरी त्रासदी सामने आ गई। अंतिम संस्कार के बाद परंपरा के अनुसार परिजन और ग्रामीण खारी नदी के एनिकट पर स्नान करने गए। यहीं पर गांव के सात युवक नदी में नहाने उतरे। पलभर में ही सातों गहरे पानी में डूबने लगे। चीख-पुकार मच गई। ग्रामीणों ने किसी तरह चार युवकों को बाहर निकाला और उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। उनकी हालत गंभीर होने पर शाहपुरा जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। इस दौरान दो युवकों की मौत हो गई, जबकि एक अब भी लापता है। इस घटना के बाद गांव के हर घर से रुदन की आवाजें सुनाई दे रही हैं। गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि उन्होंने कभी ऐसा कालखंड नहीं देखा। पहले अस्थियां विसर्जित कर लौटे तो हादसा हुआ, फिर अंतिम संस्कार करने गए तो नदी ने लील लिया।