चंपावत:पद्मश्री अवार्ड के लिए जिला प्रशासन ने भेजा तीलू रौतेली पुरुस्कार से सम्मानित पहाड़ की बेटी रीता गहतोड़ी का नाम!सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ पिता की चिता की दी थी मुखाग्नि,रीता द्वारा किये गए उत्कृष्ट कार्यो की कोई गिनती ही नहीं
देश के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मश्री के लिए चंपावत जिला प्रशासन ने चंपावत ज़िले से दूसरी बार किसी महिला का नाम नामांकित कर गृह मंत्रालय को भेजा है। चंपावत के ज़िला बनने के 24 सालों के इतिहास में यह दूसरी बार हुआ है कि यहां से कोई नाम इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए नामांकित किया गया हो और वो नाम दोनों बार एक महिला का हो। दरअसल मई के महीने में केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन राज्यों से मांगे थे, जिनके तहत 26 जनवरी 2022 को मिलने वाले पद्म श्री अवॉर्ड के लिए ज़िला प्रशासन ने रीता गहतोड़ी का नाम प्रस्तावित किया है । रीता गहतोड़ी 2013 में उत्तराखंड के सबसे बड़े तीलू रौतेली पुरस्कार की विजेता रह चुकी हैं।
कौन हैं रीता गहतोड़ी और क्या उपलब्धियां हैं उनके नाम?
रीता गहतोड़ी राज्य में सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाला जाना पहचाना नाम हैं । रीता गहतोड़ी चंपावत ज़िले में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान की ब्रांड एंबेसडर भी हैं । रीता सर्वप्रथम 2008 में एक अफगानिस्तानी नागरिक साबरा को न्याय दिलाने में मदद करने के बाद सुर्खियों में आई थीं । मूल रूप से लोहाघाट स्थित चांदमारी की रहने वाली रीता दूसरी बार उस समय सुर्खियों में आई थी जब उन्होंने 2012 में सामाजिक वर्जनाएं तोड़ते हुए अपने पिता हीरावल्लभ गहतोड़ी की अर्थी को कंधा देकर श्मशान घाट में मुखाग्नि दी थी तब से लेकर आज तक हर साल पिता का श्राद्ध खुद करती आई हैं।
रीता गहतोड़ी के द्वारा किये गए उत्कृष्ट कार्यो का ब्यौरा देते अपर जिलाधिकारी चंपावत ने रीता गहतोड़ी को पद्मश्री पुरुस्कार देने की सिफारिश करते हुए लिखा है कि
"सुश्री रीता गहतोड़ी जी ने अपने पिता हीरा बल्लभ गहतोड़ी जी के मृत्यु उपरान्त घोर सामाजिक विरोध के बाद भी अर्थी को कंधा दिया व चिता को मुखाग्नि देकर सामाजिक रूढ़ियों / कुरीतियों को तोड़ साहसिक कदम उठाया । क्षेत्र की सैकडों शव यात्रा / अंतिम विदाई कार्यक्रम में शामिल होकर सामाजिक कुरीतियों पर जमकर प्रहार कर मिशाल कायम करते हुए सामाजिक सोच में बदलाव लायी ।
जनपद चम्पावत में वीर शहीद राहुल रैंस्वाल की अंतिम विदाई में शामिल होकर शहीद के बलिदान पर माता - पिता , भाई , पत्नी को धैर्य बधाकर सैकडों लोगों के बीच भारत माता की जय नारे लगाकर ढांढस बंधाया । सन् 2006-07 में ग्राम पतारवाड़ा , तहसील- गंगोलीहाट , जनपद - पिथौरागढ़ में शराब विरोधी आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाकर गैंगरेप पीड़िता को न्याय दिलाया । गांव - गांव जाकर बच्चों को नशे की प्रवृत्ति से दूर किया । उत्तराखण्ड के विभिन्न जनपदों में जाकर बालश्रम रोककर विद्यालय भिजवाया ।
कन्या भ्रूण हत्या को रोकना , घरेलू हिंसा रोकना , दहेज उन्मूलन , बेटियों की शिक्षा , स्वास्थ्य पर कार्य , रूढ़ियों व सड़ी - गली परम्पराओं को तोड़ बेटियों को मानसिक बल देना , रेप पीड़िताओं को न्याय दिलाना व बलात्कार की घटना को रोकना , मृत्यु उपरान्त शव को मुखाग्नि देना , चिकित्सालय जाकर गर्भवती महिलाओं को जागरूक व सहायता करना , मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला की सहायता कर परिजनों को सौंपना , बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं अभियान , बेटियाँ और किताब ,पर्यावरण संरक्षण , नशा उन्मूलन व मानव तस्करी रोकना आदि कार्य किये जाते रहे है । समाज सेवा हेतु आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेने वाली रीता ने 26 जनवरी , 2017 को आजीवन खादी वस्त्र पहनने का संकल्प एवं खादी का प्रचार - प्रसार कर महापुरूषों के स्मारकों की सुरक्षा करने का बीड़ा उठाया है ।
अपर जिलाधिकारी ने आगे लिखा है कि सुश्री रीता गहतोड़ी जी के द्वारा माहवारी के दौरान मासिक धर्म से जुड़ी कुरीतियों को दूर करने की मुहिम चलाकर सैनेटरी पैड अभियान में सैकड़ों बालिकाओं को प्रतिदिन स्कूल भेजने का कार्य किया जा रहा है ।जनपद चम्पावत में पिछड़े वर्ग वाल्मिकी समुदाय के 70 बच्चों को गोद लिया है एवं उन्हें निःशुल्क शिक्षा दे रही हैं । विभिन्न जनपदों में भी वाल्मिकी समुदाय के सैकड़ों बच्चों को स्कूल की राह दिखाकर प्रेरणा स्त्रोत बन रही उनके हर सुख - दुख में शिरकत कर रही है । तमाम विरोधों के बावजूद भी ज्यादातर त्यौहार / पर्व वाल्मिकी बच्चों के साथ मनाती हैं । बच्चों में सामाजिक समानता की भावना लाने के लिए देवालय मंदिर का भ्रमण कराती हैं । ताकि बच्चों में हीन भावना पैदा ना हो । कई वाल्मिकी बच्चों ने ज्ञान का दीप जलाकर अपने विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया है । अभियान सम्मान मां समान ' चलाकर जाति - धर्म से ऊपर उठकर सामाजिक परिवर्तन लाने का सराहनीय कार्य किया जा रहा है।
उत्तराखण्ड सरकार से निवेदन कर सम्पूर्ण प्रदेश में वाल्मिकी समाज के लगभग 700 ( सात सौ ) संविदा कर्मियों के आर्थिक स्तर को उन्नत करने के लिए स्थाई नियुक्ति दिलायी है । कई बार झेलना पड़ा सामाजिक विरोध तथा जान से मारने का मिला धमकियों भरा पत्र इसके बावजूद भी वाल्मिकी समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए लगातार कार्य करती रहती हैं । पूर्व में दलित बस्ती के लोगों की मृत्यु पर अर्थी को कंधा देकर रीता जी ने छुआछूत की परंपरा को तोड़ा । कोरोना संकट काल में पर्यावरण मित्र के बीमार होने पर उनकी दवाई / उपचार व बच्चों की देखरेख तथा उनके घर को सैनेटाइज करने का सराहनीय कार्य किया गया ।
सन् 2008 में चर्चित केस अफगानी महिला ( साबरा ) जो भारत आई थी और जिनका धोखे से विवाह हुआ था , उनके लिए संघर्ष कर 8,000/- रुपए प्रतिमाह भरण पोषण दिलवाकर न्याय दिलवाया । इनके द्वारा स्वरचित कविताएं ( माँ जीवन दो मुझे ) व अन्य कविताओं के द्वारा रोडवेज स्टेशन , रेलवे प्लेटफार्म में यात्रियों को बेटी बचाने का संदेश देकर बेटी बचाओ का अभियान को लगातार सफल बना रही हैं । जनपद चम्पावत से तमिलनाडू पहुंचाई गई चम्पावत के ललुवापानी गांव की दो महिलाओं को रीता द्वारा किए गए अथक परिश्रम से सुरक्षित घर वापस मंगवाया तथा मानव तस्करी में लिप्त तीन आरोपियों को जेल भी भिजवाया ।
विभिन्न जनपदों में अथक परिश्रम कर अपनी जान की परवाह किये बगैर कोरोना जागरूकता अभियान चलाया । दूर - दराज से आ रहे यात्रियों की आश्रय स्थल में जाकर बढ़ चढ़कर सहायता कर उन्हें सुरक्षित घर पहुंचाया । जनपद चम्पावत के विकास खण्ड बाराकोट के भारतोली गांव के समीप हुई वाहन दुर्घटना जिसमें नौ लोगों की जान चली गई थी और तमाम घायल अस्पताल में पड़े थे । सुश्री रीता जी अस्पताल पहुंच कर घायलों की रात दिन सेवा की । जिसे देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा उनके सेवा कार्यों की भूरि - भूरि प्रशंसा की गयी है ।
आज के इस स्वार्थी युग में एक महिला के उक्त प्रकार को त्याग तपस्या व सेवा भावना की ललक को सलाम किया ही जाना चाहिये । जनपद चम्पावत में सामाजिक कुरीतियों / रूढ़ियों को तोड़ने की शुरूआत रीता जी के ही संघर्षशील आन्दोलनों से हुई । उत्तराखण्ड सरकार द्वारा सामाजिक क्षेत्र में उनके योगदान के लिए वर्ष 2012-13 में तीलू रौतेली पुरस्कार तथा वर्ष 2013-14 में महिला समाख्या द्वारा देहरादून में महिला सशक्तिकरण हेतु सम्मानित किया गया । जनपद चम्पावत के बाल विकास विभाग द्वारा बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ अभियान में अहम भूमिका के लिये रीताजी को ब्रांड एम्बेसडर बनाया गया है । वर्ष 2020-21 में जनपद चम्पावत में पुलिस प्रशासन द्वारा कोरोना वॉरियर्स सम्मान से नवाजा गया है । जनपद चम्पावत में पी ० सी ० पी ० एन ० डी ० टी ० / किशोर न्याय बोर्ड / कोरोना टॉक्स फोर्स की सदस्या हैं । सुश्री रीता जी जनपद चम्पावत की पहली सामाजिक कार्यकर्ता हैं,जिन्होनें पराम्परागत समाज के घोर विरोध के बावजूद महिलाओं को सशक्त करने के लिए बहुआयामी अभियान चलाया और जनपद में महिलाओं के स्वाभिमान व स्वावलम्बन की चेतना विकसित की । भारतीय संविधान में दिये गये महिला अधिकारों के प्रति महिलाओं में जागृति लाने में भी रीता जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।