दिल्ली में भाजपा की सरकार! लेकिन राजधानी का अगला मुख्यमंत्री कौन? किसी ने भी नहीं किया दावा,अब सबकी नजर बीजेपी हाईकमान पर

देश की राजधानी की जनता ने अपना फैसला सुनाने के बाद अब दिल्ली की नजर नए मुख्यमंत्री के चेहरे पर है। और बड़ा सवाल सबके सामने यही है कि दिल्ली का ताज किसके सिर पर सजेगा। भाजपा महिला के हाथ में दिल्ली की कमान सौंपेंगी या फिर किसी अनुसूचित जाति, सिख, पूर्वांचली, जाट-गुर्जर समाज से आने वाले नेता को। राजनीतिक पंडित इस मामले में कई तरह से कयास लगा रहे हैं। सबके अपने-अपने दावे हैं। हालांकि भाजपा ने इस मामले में अभी चुप्पी साध रखी है। तो वही अब सबकी नजरें दिल्ली के सीएम फेस पर है लेकिन अब तक किसी ने कोई दावा नहीं किया है। हर कोई सिर्फ कयास लगा रहा है।
आप को बात दें पिछले 27 साल से दिल्ली में यह ट्रेंड देखने को मिला है कि जो कोई नई दिल्ली विधानसभा सीट जीतता है,वही मुख्यमंत्री बनता है। कांग्रेस के शासन काल में नई दिल्ली विधानसभा सीट से जीतने वाली शीला दीक्षित लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बनीं। इसी सीट पर शीला दीक्षित को करारी शिकस्त देने के बाद अरविंद केजरीवाल भी तीन बार मुख्यमंत्री बने। यदि यह परंपरा कायम रहती है तो सबसे मजबूत दावेदारी प्रवेश वर्मा की है। प्रवेश वर्मा आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक व पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हरा कर विधानसभा पहुंचे है। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के सुपुत्र भी हैं। जाट समुदाय से भी आते है। इनके चेहरे से दिल्ली ही नहीं यूपी, हरियाणा और राजस्थान में भी पार्टी को फायदा मिलेगा।
वहीं दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा की बात करें तो वह पंजाबी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। पंजाबी मतदाता भी अधिक संख्या में है। इस प्रचंड जीत के पीछे उनकी भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता है। वो चुनाव भले ही नहीं लड़े लेकिन सभी विधानसभा में चुनाव लड़वाने की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर थी। दूसरी तरफ माना जा रहा है कि दिल्ली का नेतृत्व एससी समाज को देकर भाजपा पूरे देश में सियासी मैसेज देने की कोशिश कर सकती है कि वह इस वर्ग की सबसे बड़ी हितैषी है। इससे संविधान बदलने के कांग्रेस के आरोप समेत दूसरे कई आरापों को भाजपा एक तीर से भेद सकेगी। वही लेकिन चुनावी रणनीतिकार यह भी देख रहे है कि किसी पूर्वांचली को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो इसका मैसेज बिहार तक जाएगा। वहां भी जल्द चुनाव होने है। यह भी देखा जा रहा है कि किसी सिख नेता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो इसका असर पंजाब पर भी पड़ेगा। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार भी है। ऐसे में पार्टी पर प्रहार करने के लिए और पंजाब से भी सत्ता छीनने में भाजपा को चुनावी लाभ मिल सकता है। हालांकि भाजपा के लिए मुश्किल यह है कि वह किसी एक वर्ग को मुख्यमंत्री बनाती है तो अन्य वर्ग नाराज न हो जाए। ऐसे में पार्टी अन्य वर्ग के लोगों को उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी भी दे सकती है। भाजपा कई प्रदेशों में इस तरह का प्रयोग कर भी रही है।