निकाय का रण: रुद्रपुर के वार्ड 7 में कांग्रेस के लिए आसान नहीं जीत की राह! भाजपा से हो सकता है कड़ा मुकाबला,जानिए पार्षद प्रत्याशियों की कुंडली
उत्तराखण्ड में निकाय चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है,वैसे-वैसे प्रत्याशियों के दिलों की धड़कनें भी तेज होती जा रही है। इस बीच भाजपा और कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दलों से जुड़े प्रत्याशी जोर-शोर के साथ मैदान में उतरते हुए प्रचार अभियान में जुटे हुए हैं। रुद्रपुर की बात करें तो यहां मेयर सीट के साथ ही पार्षदी का चुनाव भी बेहद दिलचस्प होता जा रहा है। नगर निगम क्षेत्र के 40 वार्डों में कई प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे हैं और घर-घर जाकर मतदाताओं के रिझाने में लगे हैं, लेकिन कई जगहों पर वार्ड के लोग अपने पार्षद प्रत्याशी से पूरी तरीके से परिचित ही नहीं हैं। आज हम बात रुद्रपुर नगर निगम क्षेत्र के वार्ड नंबर 7 की कर रहे हैं।
रुद्रपुर के वार्ड नंबर 7 इस वक्त निगम क्षेत्र में चुनावी जंग काफी दिलचस्प नजर आ रहा है। इस सीट पर कांग्रेस की ओर नए प्रत्याशी तो भाजपा से युवा और बहुत ही चतुर-चालक पूर्व नगर निगम पार्षद कैलाश राठौर चुनावी मैदान में उतरे हुए हैं और लगातार दोनों ही प्रत्याशी अपने-अपने अंदाज में लोगों को रिझाने का काम कर रहे हैं। आपको बता दें इससे पहले कैलाश राठौर कांग्रेस के टिकट पर वार्ड नंबर 7 से पार्षद रहे हैं। लेकिन उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थामते हुए वार्ड नंबर 7 से एक बार फिर अपना नामांकन किया था। जिसके बाद से यह सीट काफी चर्चाओं में आया है। वहीं कांग्रेस की ओर से एक नए चेहरे को पार्षद प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा गया है। तो आईए जान लीजिए दोनों ही प्रत्याशियों का कुछ परिचय...
भाजपा प्रत्याशी- कैलाश राठौर
शैक्षिक योग्यता-हाईस्कूल
व्यवसाय-व्यापार
निकाय चुनाव में दूसरी बार भाजपा की ओर से मैदान में उतरे कैलाश राठौर देशी (राठौर) समाज से ताल्लुक रखते हैं और क्षेत्र में उनकी काफी लोकप्रियता मानी जाती है। कैलाश राठौर ने कांग्रेस पार्टी के सक्रिय नेता के रूप में क्षेत्र में काम किया है लेंकिन आज बाद में उन्होंने हाथ का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम ली। आज वो निकाय चुनाव के इस रण में भाजपा की ओर से चुनावी दंगल लड़ रहे है। कैलाश राठौर की युवा वर्ग में काफी अच्छी पकड़ मानी जाती है।कैलाश राठौर के पास विपरीत परिस्थितियों में भी चुनाव के रण को अपने ओर मोरने की अद्भुत कला है। कैलाश राठौर की के पिता भी कांग्रेस और भाजपा की ओर से राजनीति में रहे है। वर्तमान समय में कैलाश राठौर एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते हैं। कैलाश राठौर सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाते हैं जिसके चलते क्षेत्र में उनकी अलग ही पहचान मानी जाती है।
कैलाश राठौर का मजबूत पक्ष :
लंबे समय का राजनीति अनुभव होना। युवाओं में अत्यधिक लोकप्रियता होना, देर रात भी आसानी से लोगों को उपलब्ध हो जाना, थाने-चौकिया में अच्छी पकड़ होना,अत्यंत चतुर चालाक होना, विषम परिस्थितियों में भी चुनाव को अपने पक्ष में मोड़ लेना,धन और संसाधनों से संपन्न होना, किसी भी परिस्थिति में लोगों को संतुष्ट करने की कला होना, 24x7 राजनीति के साथ सामाजिक कार्यों में भागीदारी करना,लोकप्रियता के साथ शांत स्वभाव का होना,कैलाश राठौर के वैसे तो सभी वर्गों में अच्छी पकड़ है ले किन उनके वार्ड में उनके समुदाय(राठौर समाज) के कैलाश राठौर का मजबूत पक्ष माना जाता है।
कैलाश राठौर का कमजोर पक्ष :
निकाय चुनाव से कुछ पहले पार्टी बदल लेना,अधिकतर युवाओं में ही मजबूत पकड़ होना,भाजपा के स्थानीय नेताओं और लोगों का भीतर-घात करना कहीं ना कहीं कैलाश राठौर के लिए बड़े परेशानी का सबब बन सकता है। इतना ही नहीं वार्ड में विकास कार्य पयार्प्त रूप से ना होना। एक निर्दलीय प्रत्याशी का चुनाव लड़ना उनका कमजोर पक्ष माना जा सकता है।
कांग्रेस प्रत्याशी- शक्ति सिंह
शैक्षिक योग्यता- हाईस्कूल
व्यवसाय-व्यापार
नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की ओर से मैदान में उतरे शक्ति सिंह देशी समाज से ताल्लुक रखते हैं। जानकारी के अनुसार शक्ति सिंह की माता लंबे समय से कांग्रेस पार्टी की सक्रीय सदस्य है। और शक्ति सिंह भी लंबे समय से कांग्रेस से जुड़े हुए हैं और राजनिति के साथ सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर प्रतिभा करते हैं। शक्ति सिंह अपने वार्ड में बेहद ही लोकप्रिय है। और धन और संसाधनों से संपन्न है।
शक्ति सिंह का मजबूत पक्ष:
शक्ति सिंह को राजनीती का छात्र राजनीती से अनुभव होना। युवाओं के साथ अच्छे संबंध होने के साथ समाज के हर वर्ग में अच्छा सामंजस होना,यूथ कांग्रेस के साथ में मेन कांग्रेस पार्टी के लोगों का सहयोग और साथ मिलना, धार्मिक और सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी निभाना,लगातार भाई चेहरे को लगातार बढ़ावा देना,अंदर-खाने भाजपा का समर्थन मिलना भी उनके मजबूत पक्ष माना जा सकता है।
शक्ति सिंह का कमजोर पक्ष:
निकाय चुनाव में एकदम नया चेहरा होना,कांग्रेस की सक्रिय राजनीति से दूर रहना,लगातार कई आरोप लगना,कांग्रेस की सक्रिय राजनीति का कम अनुभव होना,सिर्फ युवा वर्ग का ही अत्यधिक साथ रहना।