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श्रीमद्भगवद्गीता और श्रीमद्भागवत क्या एक ही ग्रंथ है या अलग अलग हैं?जानिए लिंक में

Are Shrimadbhagwadgeeta and Shrimadbhagwat the same scripture or different? Know in the link

श्रीमद्भागवत को अक्सर भगवद गीता समझ लिया जाता है,क्योंकि भगवद और भागवत दोनो शब्द एक जैसे ही सुनाई देते है लेकिन इन दोनो में बहुत बड़ा अंतर होता है,दोनों ग्रंथ वेद व्यास द्वारा लिखे गए हैं। हालाँकि भगवद गीता श्रीमद्भागवत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है , लेकिन दोनों ग्रंथ पूरी तरह से अलग हैं।

 

आइये दोनों के अंतर के बारे में समझते हैं.


आसान शब्दों में कहा जाए तो श्रीमद भागवत वो है जिसमे श्री कृष्ण ने क्या किया लिखा है जबकि श्रीमदभगवतगीता वो है जिसमे श्री कृष्ण ने क्या कहा वो लिखा है,यानी भगवान क्या बोल रहे हैं  ये 700 श्लोकों वाला एक हिंदू ग्रंथ है जो महाभारत की छठी पुस्तक है, जो भारत की सबसे प्रसिद्ध महाकाव्य कविताओं में से एक है, जबकि, श्रीमद्भागवतम को भागवत पुराण के रूप में जाना जाता है , जो हिंदू धर्म में 18 पुराणों में से एक है!इस ग्रंथ में भगवान श्री कृष्ण के जीवन का संपूर्ण वर्णन मिलता है. इसके रचयिता महर्षि वेदव्यास हैं.

श्रीमद्भागवत पुराण को सबसे पहले महर्षि वेदव्यास के पुत्र शुकदेव ने राजा परीक्षित को सुनाया था. श्रीमद्भागवत पुराण की कथा सुनने के बाद ही उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई थी.

 

श्रीमद्भागवत महापुराण के 12 स्कंधों में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन का वर्णन है. इसके श्र्लोकों की कुल संख्या 18 हजार है. ये वैष्णवों का सबसे प्रमुख ग्रंथ है.इसमें श्री कृष्ण भगवान का वर्णन मिलता है,उनका स्वभाव,क्या है वो दिखते कैसे है,
उनके गुण व्यवहार,लीला कैसी है ये सब विस्तार से वर्णित है

श्रीमद्भागवत गीता और श्रीमद्भागवत पुराण दोनों अलग है. श्रीमद्भागवत गीता महाभारत का एक छोटा सा अंश है. ये एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती हर साल मनाई जाती है.

 

महाभारत का सबसे महत्वपूर्ण भाग भगवत गीता है। भगवद गीता महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले युद्ध के मैदान में भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच एक अद्भुत संवाद है । भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी बने। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म का सार समझाया। जिस प्रकार उपनिषदों में वेदों का रस है , उसी प्रकार गीता में भी उपनिषदों का रस है।

 गीता को महाभारत रूपी समुद्र से निकला हुआ मोती भी कहा जाता है. गीता को कई प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट में पढ़ाया भी जाता है.

श्रीमद्भगवद गीता उन अवधारणाओं को जोड़ती है जो हिंदू धर्म के केंद्रीय प्रमुख ग्रंथों - वेदों और उपनिषदों में व्यक्त की गई हैं, जिन्हें यहां एक सार्वभौमिक निर्माता के अस्तित्व और सभी अस्तित्वों के एकीकरण में विश्वसनीयता की एकल दृष्टि में शामिल किया गया है! यह पवित्र पुस्तक मनुष्य को आत्मा और मन को एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठाकर सभी भ्रमों से परे देखने का निर्देश देती है।

पवित्र श्रीमद्भगवद गीता एक व्यक्ति को "जीने का तरीका" देती है और इसे सिर्फ एक धार्मिक पाठ होने की पहचान के रूप में भी देखा जाना चाहिए, बल्कि यह सभी मनुष्यों को पूर्ण, अपराजित जीने का उद्देश्य देती है!