" छपाक " फ़िल्म की असली हीरोइन दीपिका पादुकोण नहीं बल्कि लक्ष्मी अग्रवाल हैं।

15 साल की एक साधारण परिवार की लड़की इंडियन आइडियल में अपनी गायकी को आजमाना चाहती थी, दिल मे ख्वाहिशें लिए वो अपने सपनों को उड़ान देना चाहती थी ,लेकिन एक लड़के को उससे एकतरफा प्यार हो गया,सुनने में ये सब कितना प्यारा लग रहा है ना ? लेकिन बस यही तक ये सब सुनने में अच्छा लग रहा है, आगे की कहानी बहुत दर्दनाक है।जो लड़की गायिका बनने का सपना देख रही थी उसे रत्तीभर भी नही मालूम था कि आगे चलकर उसे अपनी जिंदगी दर्द के साये में जीनी पड़ सकती है,इस लड़की का नाम था लक्ष्मी अग्रवाल,और एकतरफा प्यार करने वाला लड़का 32 साल का था, जो लक्ष्मी की उम्र से दुगना बड़ा था।एकतरफा प्यार ने उस लड़के को पागलपन की हदो को भी पार करवा दिया,लक्ष्मी का कहीं आना जाना भी दूभर हो चुका था,वो लड़का अब लक्ष्मी को आते जाते बाल खींचकर मारने भी लगा था और लक्ष्मी पर शादी करने का दबाव बनाने लगा,लक्ष्मी के बार बार मना करने पर जब उस सिरफिरे आशिक की एक ना चली तो उसने एक दिन दिल्ली के पॉश खान मार्केट में लक्ष्मी के मुंह पर तेज़ाब फेंक दिया।ज़रा सोचिए तेज़ाब की जलन से कितनी तड़पी होगी लक्ष्मी ।लक्ष्मी कई दिनों तक अस्पताल में ज़िन्दगी और मौत के बीच अपने बदसूरत हो चुके चेहरे को लेकर जूझती रही,लेकिन उसने हार नही मानी,वो उठी ,और दोबारा अपनी ज़िंदगी ये कहते हुए शुरू की कि "उसने मेरा चेहरा बदला है,दिल नहीं। उसने मेरे चेहरे पर तेज़ाब डाला है,मेरे सपनों पर नहीं।ये कैसा प्रेम है ? अगर ये प्रेम है तो यकीन कीजिये बिना प्रेम के दुनिया ज़्यादा खूबसूरत है।"

तेज़ाब से झुलसी लक्ष्मी जब भी उस दर्द को याद करती है तब हमेशा कहती है " जब मेरे चेहरे पर तेज़ाब फेंका गया तब ऐसा लगा मानो किसी ने मुझे ज़िंदा आग लगा दिया,मैं बहुत चीख रही थी,तड़प रही थी" ।

लक्ष्मी के लिए ये सब भूल पाना नामुमकिन ज़रूर था, पर लेकिन लक्ष्मी ने उस घटना से सबक लेते हुए एसिड अटैक के खिलाफ सबसे बुलंद आवाज़ उठाई,लक्ष्मी ने 2006 में कोर्ट में एसिड बैन करने की मांग को लेकर जनहित याचिका डाली। टेड टॉक शो में प्रेजेंटेशन दिया,लक्ष्मी हर एसिड अटैक पीड़ितों के अधिकारो के लिए लड़ती हैं।लक्ष्मी रुकी नही उन्होंने स्टॉप सेल एसिड की संस्थापक बन एसिड हिंसा और एसिड की बिक्री के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाया।लक्ष्मी के इन प्रयासों को देश भर से समर्थन मिलना शुरू हो गया।2014 में मिशेल ओबामा ने लक्ष्मी को " इंटरनेशनल वुमन ऑफ करेज" अवार्ड से सम्मानित किया ।महिला और बाल विकास मंत्रालय ,पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय, और उनके अभियल "स्टॉप सेल एसिड" के लिए यूनिसेफ से " अंतर्राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण पुरुस्कार 2019 लक्ष्मी को दिया गया।


लक्ष्मी के प्रयासों को सरहाना बॉलीवुड की फ़िल्मी हस्तियों तक ने करनी शुरू कर दी और मशहूर फ़िल्म निर्माताओं में से एक मेघना गुलज़ार ने लक्ष्मी के जीवन पर आधारित एक बॉयोपिक बनाई है जिसमे लक्ष्मी का रोल फ़िल्मी जगत की बेहतरीन अदाकारा दीपिका पादुकोण ने बखूबी निभाया है।फ़िल्म का नाम "छपाक" रखा गया ।पहले इस फ़िल्म का नाम कुछ और रखा गया था लेकिन टाइटल सांग में फ़िल्म का नाम आना ज़रूरी था इसीलिए बाद में छपाक नाम रखा गया जो फ़िल्म की थीम को भी सार्थक करता है।इस फ़िल्म के गीत गुलजाज़ साहब ने ही लिखे हैं, दीपिका के लिए ये रोल करना काफी चैलेंजिंग रहा खुद दीपिका भी कई बार इस फ़िल्म पर बात करने के दौरान रो पड़ती दिखाई दे चुकी है।मेघना गुलजार के कुछ प्रोजेक्ट ऐसे आने वाले है जो समाज मे लड़कियों पर हो रहे अत्याचार पर आधारित होंगे।नोएडा के बहुचर्चित आरुषि हत्याकांड पर मेघना की तलवार फ़िल्म जल्द आने वाली है फिलहाल सबकी नज़रे अभी " छपाक " पर है जो 10 जनवरी को बड़े पर्दे पर रिलीज़ की जाएगी।