हाईकोर्ट:बागेश्वर सरयू नदी में मशीनों से खनन को लेकर रोक जारी

उत्तराखंड हाइकोर्ट ने सरयू नदी बागेश्वर में खनन कार्य के लिए उपयोग किये जाने वाले भारी मशीनों पर रोक लगाने सम्बन्धी जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए खनन कार्य पर लगे भारी मशीनों पर रोक जारी रखते हुए प्रभावित पक्षकारों से अपने प्रत्यावेदन गठित समिति के समक्ष पेश करने को कहा है और उसका निर्णय जिला अधिकारी के विवेकाधीन रहेगा चाहे वे खनन में भारी मशीनों को अनुमति दे या नही । मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमुर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ में हुई।
आज मामले में मशीन प्रभावित पक्षकारो की तरफ से प्रार्थना पत्र पेश कर कोर्ट से यह अनुमति देने की प्रार्थना की गई है कि उनको मैन्युअली खनन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है इसलिए उनको भारी मशीन चलाने की अनुमति दी जाय ।
आपको बता दे बागेश्वर निवासी प्रमोद कुमार मेहता ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि बागेश्वर नगर क्षेत्र में बागेश्वर तहसील के अंतर्गत उपजिलाधिकारी बागेश्वर द्वारा 9 मार्च को एक निविदा प्रकाशित की है जिसके द्वारा स्थानीय व्यक्तियों/ संस्थाओं को सरयु नदी में रेता उपखनिज के निस्तारण उठान हेतु खुली नीलामी हेतु आमंत्रित किया गया था जिसे याचिकाकर्ता द्वारा इस आधार पर चुनौती दी है कि खुली नीलामी के आड़ में जिला प्रशासन माफियाओं को लाभ पहुचाने व बड़ी मशीनों के प्रयोग जैसे जेसीबी पोकलैंड मशीनों के उपयोग की अनुमति देकर पवित्र नदी के स्वरूप को खत्म करने का प्रयास कर रहा है।
आज तक सरयु नदी में बिना मशीनों के ही एनुअल चुगान होता आया है तथा बजरी रेता कभी भी बागेश्वर नगर के आसपास से गुजरने वाली सरयु नदी में कभी भी इतनी अधिक मात्रा में इकठ्ठा नही हुआ जिस से आपदा अथवा भू कटाव की कोई आशंका बने।
याचिकाकर्ता का यह आरोप भी है कि सरयु नदी में रेता बजरी की मात्र के बिना आकलन के ही नियम विरुद्ध नीलामी की जा रही है जो कि उत्तराखंड रिवर ट्रेनिंग नीति 2020 के प्रावधानों के विपरीत है।