हल्द्वानी:सीएम के संज्ञान में पहुंचा मामला तो हरकत में आया सुशीला तिवारी अस्पताल प्रबंधन बिना लक्षण वाले मरीजो को नही भेजा जाएगा एसटीएच जल्द दुरुस्त होंगी सभी व्यवस्थाएं
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हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल की बदहाली के मुद्दे को लगातार आवाज़ उत्तराखंड के माध्यम से उठाया गया जिसके बाद अब जाकर कहीं शासन प्रशासन के संज्ञान में मामला पहुंचा है वरना अब तक तो जिला प्रशासन के संज्ञान में ये मामला ही नही था।जी हाँ सुशीला तिवारी अस्पताल की लचर स्वास्थ्य सेवाओ और गंदगी को लेकर सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नाराजगी जाहिर की तब अस्पताल में थोड़ी बहुत हरकत होनी शुरू हुई।रविवार को सीएम की नाराजगी के बाद अस्पताल प्रबंधन व्यवस्थाओं को ठीक करने में जुटी रही।
वहीं सुशीला तिवारी अस्पताल में अब ए सिमटोमेटिक यानी बिना लक्षण वाले कोरोना के मरीजो को नही रखा जाएगा,उन्हें सीधे कोविड केयर सेंटर ही भेजा जाएगा,अगर कोई परेशानी हुई सिर्फ तभी उन्हें सुशीला तिवारी रेफेर किया जायेगा।नोडल अधिकारी सुशीला तिवारी रोहित मीणा ने मीडिया को बताया कि बिना लक्षणों वाले कोरोना मरीजो को सिर्फ तभी सुशीला तिवारी अस्पताल भेजा जाएगा जब उन्हें किसी तरह की कोई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत होगी अन्यथा उन्हें कोविड केयर सेंटर ही रखा जाएगा।वहीं सुशीला तिवारी अस्पताल में कोरोना मरीजो को अब योग भी करवाया जाएगा ताकि ये मरीज किसी तरह के अवसाद में ना जाने पाए,इसके लिए मैट भी खरीदी जाएंगी।कोरोना मरीजो के लिए अब सुशीला तिवारी अस्पताल में गर्म पानी की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाएगी इसके लिए वार्डो में पानी गर्म करने की केतली भी रखवाई जाएगी ,इतना ही नही अब जब मामला संज्ञान में आ ही गया है तो कोरोना मरीजो के मनोरंजन का भी ध्यान रखा जाएगा इसके लिए भी शतरंज, लूडो इत्यादि खेल खरीदकर कोरोना मरीजो के वार्ड में भेजे जाएंगे,साथ ही जल्द ही वार्डो में टीवी भी लगवाए जाएंगे।
सुशीला तिवारी के बाथरूमो की ख़स्ता हालात को भी अब दुरुस्त किया जाएगा इसके लिए भी कोरोना मरीजो के लिए तैयार 60 बेड वाले वार्ड मे इसी हफ्ते से शौचालयों को ठीक करवाने का काम शुरू किया जाएगा।एक वार्ड के शौचालय ठीक होने के बाद दूसरे वार्ड के शौचालय भी ठीक करवाये जाएंगे।
गौरतलब है कि बीते दिनों सुशीला तिवारी से लगातार अव्यवस्थाओं की तस्वीरें वायरल हो रही थी मरीजो द्वारा लगातार बदहाली की शिकायतें आ रही थी लेकिन जिला प्रशासन द्वारा हर बार मामला संज्ञान में नही है कह कर पल्ला झाड़ दिया जा रहा था।