सवालों से घिरे मंत्री

त्रिवेंद्र रावत सरकार का विकास,पहाड़ों से पलायन रोकना व ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा देना जैसे बयानों में कितनी हकीकत है, इसका उदाहरण देहरादून में चल रहे पंचायत प्रतिनिधियों एवं कर्मियों के प्रक्षिक्षण में देखने को मिला। जहां पंचायतीराज मंत्री को सामने पाकर पंचायत प्रतिनिधियों ने उन पर सवालों की बौछार कर दी। कुछ पल के लिए ऐसा लगने लगा जैसे यह कोई जनशिकायती कार्यक्रम चल रहा हो। जहां सरकार पंचायतों को डिजीटल करने की बात कर रही है, वहीं कुछ पंचायत प्रतिनिधियों ने सरकार के इस डिजीटलीकरण पर सवाल उठाते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्किंग बहुत बड़ी समस्या है,तो हम कैसे डिजीटल युग की तरफ आगे बढ़ें।सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी व सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों की कमी जैसे सवाल सबकी जुबां पर थे। वहीं मंत्री ने जहां कुछ सवालों के जवाब और आश्वासन दिए तो कुछ सवालों पर बचते भी नजर आये।सरकार चाहे जो भी दावे करे ,लेकिन राज्य के सभी जिलों से आये इन पंचायत प्रतिनिधियों के सवालों से साफ झलक रहा था कि पंचायतें आज भी अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रही हैं।