समय का सदुपयोग वर्षों से बंजर भूमि पर 1000 सेब के वृक्ष लगा दिए ।

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से पूरा विश्व आर्थिक संकट से जूझ रहा है। कोरोना संक्रमण से बचने के कारगर उपाय लॉक डाउन चलते सभी लोग अपने अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठा बंद कर घरों में कैद होने को मजबूर है ।


तो वही नैनीताल के रामगढ़ में देवेंद्र सिंह के परिवार ने लॉक डाउन के समय के सदुपयोग करते हुए राज्य सरकार की मुख्यमंत्री एप्पल मिशन संरक्षित परियोजना के तहत उद्यान योजना का लाभ लेते हुए 1 माह 5 बीघा बंजर पड़ी जमीन में उत्तम वैरायटी के जेरोमाइन, रेड ब्लाक, गाला प्रजाति के सेब के 1हजार पेड़ लगाए है।


देवेंद्र बताते है उन्होंने राज्य सरकार की एप्पल मिशन योजना  सहायता से 1000 पेड़ लगाए है। देवेंद्र बताते है उत्तराखंड का वातावरण फलों की खेती के लिए बहुत अनुकूल है। खासकर उत्तराखंड के फल पट्टी कही जाने वाले क्षेत्र में युवा सरकार द्वारा पोषित योजनाओं का लाभ लेकर काम करते है तो पहाड़ों से हो रहे पालयन अंकुश लगेगा। हाइडेंसी एप्पल प्रोजेक्ट के तहत सरकार लोगो को बागवानी के तहत प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।भले ही इन दिनों पूरे देश में लॉक डाउन के वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं दूसरी ओर नैनीताल के मुक्तेश्वर क्षेत्र में एक बिष्ट परिवार के द्वारा सालों से बंजर पड़े सेब के बगीचे को फिर से हरा भरा कर दिया है, इस बगीचे को तैयार करने में बिष्ट परिवार के बच्चों ने अपने माता-पिता की खूब मदद की और करीब 1 महीने के अंदर पूरे परिवार ने 1 हजार सेब के पेड़ों से बगीचा तैयार किया है।




देश में तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस के बाद सरकार के द्वारा लॉक डाउन किया गया जिस वजह से नैनीताल और हल्द्वानी में पढ़ है इस परिवार के बच्चे अपने गांव मुक्तेश्वर आए थे इसी दौरान बच्चों के द्वारा अपने पिता की मदद करते हुए सालों से बंजर पड़े सेब के बगीचे को फिर से हरा भरा कर दिया है, वही बगीचे के मालिक देवेंद्र सिंह बताते हैं कि जिस बाग को तैयार करने में कई मजदूरों की मदद लेनी पड़ती और कई दिनों का समय लगता उस बगीचे को लॉक डाउन के दौरान अपने परिवार के साथ मिलकर कुछ ही दिनों में तैयार कर दिया है, उनके लिए यह लॉक डाउन किसी सुनहरेपाल से कम नहीं क्योंकि लोग डाउन के दौरान एक बार फिर से उनका परिवार एक साथ है वहीं शहरों से अपने गांव पहुंचे बच्चों का कहना है कि लोग डाउन की वजह से आज उनको अपने परिवार के साथ समय बिताने और माता-पिता की मदद करने का लंबे अरसे के बाद समय मिला है साथ ही इन दिनी वो बागवानी के गुर भी सीखने का उनको इस दौरान मौका मिल रहा है।