वो अपनी छोटी लम्बाई से नहीं बल्कि अपने ऊंचे कद से दुनिया में छाईं

लम्बाई 4 फुट11 इंच,इतनी कम लम्बाई वाली लड़कियां अक्सर हीन भावना से ग्रसित हो जाती हैं ,जब अपने सामने वो अच्छी खासी लम्बाई की लड़कियों को देखती हैं।
हमारा छोटा होना या लम्बा होना ,गोरा होना या काला होना ये तो जन्म होते ही तय हो जाता है, लेकिन हमारे अक्स की पहचान समाज में मिलने वाले हमारे औहदे से होती है ना कि कम लम्बाई से।
सुषमा स्वराज का कद और औहदा इतना ऊंचा था कि उनकी कम लम्बाई कभी उनके रास्तो के आड़े नहीं आई। ईश्वर ने लम्बाई भले ही कम दी थी ,पर सुषमा स्वराज ने अपना कद खुद ऊंचा कर दुनिया में अपना लोहा मनवा दिया।
महज 25 वर्ष की कम उम्र में जब बाकी लड़कियां घर के कामों में या शादी के सुनहरे सपने बुन रही थी, तब सुषमा स्वराज सड़कों पर नारेबाजी कर रहीं थी।उस उम्र में विधायक बन जाना अपने आप में एक रिकाॅर्ड कायम करना था। छोटी सी उम्र में कैबिनेट मंत्री बनना आसान नहीं था। पर सुषमा स्वराज ने अपने जज्बे से वो भी कर दिखाया। आपातकाल में चुनौतियों का सामना कर श्रम मंत्री बनने तक का सफर सुषमा स्वराज ने तब तय किया जब उस दौर की लड़कियां अपनी ही गली में सर ढक कर जाने से भी कतराती थी कि कहीं अड़ोस पड़ोस में कोई कुछ कह ना दे।
सुषमा स्वराज अब यहां कहां रूकने वाली थी, एक के बाद एक नया कीर्तिमान बनाती चलीं गयीं। बीजेपी की कद्दावर नेता,औसत लम्बाई से भी कम पर हौसले आसमान छूने वाले सूचना प्रसारण मंत्री,दिल्ली की मुख्यमंत्री और विदेश मंत्री तक सारे पद भार सुषमा स्वराज ने पूरी ईमानदारी के साथ निभाये। स्टेज पर जब सुषमा स्वराज भाषण देने जाया करती थी, तब एक चौकी भी उनके साथ जाया करती थी ताकि स्टेज पर वो पोडियम के पीछे से खड़ी हुई दिखाई दे सकें।हर समस्या का समाधान सुषमा स्वराज को निकालना बखूबी आता था।
एक दौर ऐसा भी आया जब सुषमा स्वराज के पास दो ही विकल्प बचे थे या तो बीजेपी के अध्यक्ष पद को चुन लें या नेता प्रतिपक्ष का कार्यभार अपने हाथों में ले लें, तब बेहद ही सुलझी सुषमा स्वराज ने नेता प्रतिपक्ष बनने का विकल्प चुना और अध्यक्ष पद को त्याग दिया। विपक्ष में में सुषमा स्वराज के भाषणों के सामने टिकने वाला शायद ही कोई रहा हो।
सुषमा स्वराज जब पूरी दुनिया के विदेश मंत्रियों के साथ खड़ी होती थी तब सुषमा स्वराज बाकी मंत्रियों के कंधे तक भी नहीं पहुंच पाती थी, लेकिन सिंहनी की गर्जना ही काफी होती है।
सुषमा स्वराज को उनकी मेहनत से मिला हुआ कद इतनी ऊंचाइयों तक ले आया था, तो लम्बाई क्या मायने रखती थी। ट्विटर जैसी सोशल साईट्स पर सुषमा स्वराज आम जनता से हमेशा जुड़ी रहती थीं,उनकी समस्याओं का समाधान भी करती थी। यहां तक पाकिस्तान के भी कई लोगों की समस्याओं को सुषमा स्वराज ने बिना भेदभाव के सुलझाया। पाकिस्तान के जरूरत मंद लोगों का मेडिकल वीजा लगवाने में सुषमा स्वराज ने मदद की और जो भी मुमकिन सहायता हो सकती थी वो भी की,हांलाकि सुषमा स्वराज इस तरह पाकिस्तानियों की मदद करने पर सोशल साईट्स पर ट्रोल भी हुईं लेकिन ये सब बातें उन्हे लोगों की मदद करने से रोक नहीं पायीं।
तूफानी लहरों से कैसे उबरना है ,सुषमा स्वराज अच्छी तरह जानती थी, लेकिन अपनी जिन्दगी की जंग से वो हार गयी।अपने आखिरी ट्विट में भी उनका देश के प्रति प्रेम साफ झलक रहा था, जब जम्मू कश्मीर पर धारा 370 को हटाने के लिये बिल पास हुआ। सुषमा स्वराज देश ही नहीं दुनियां की भी चहेती थीं,एक पूर्ण विराम अब हमेशा के लिये उनके आगे लग चुका है।