राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं हुई बेपटरी

उत्तराखड़ का स्वास्थ्य विभाग अक्सर सुर्खियों में रहता है, कभी पहाड़ों पर बिगड़ती स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर तो कभी अस्पताल तक आने वाले मरीजों को अस्पताल आकर सुविधाएं न मिलने के कारण। ताजा मामला खुशियों की सवारी एम्बुलेंस के पहिए थमने का है। मार्च 2019 से पूर्व राज्य में आपातकालीन सेवा 108  का संचालन करती आई कंपनी जीवीके ही खुशियों की सवारी का संचालन भी करती थी, जिसकी जिसकी जिम्मेदारी प्रसव उपरान्त जज्चा बच्चा को अस्पताल से घर छोड़ने की होती है। मार्च 2019 के बाद टेंडर प्रक्रिया के तहत 108 आपातकालीन सेवा का संचालन कैंप कंपनी को दे दिया गया, और खुशियों की सवारी का संचालन सरकार ने खुद अपने पास रखा है। दरअसल हर साल केन्द्र सरकार स्वास्थ्य विभाग को करोड़ों का बजट देती थी। लेकिन इस बार केन्द्र सरकार से बजट कम होने के चलते उत्तराखड़ स्वास्थ्य विभाग पटरी से बेपटरी होते नजर आ रहा है, जिसका खामियाजा सरकारी अस्पतालों में आनेवाली गर्भवती महिलांओं को भुगतना पड़ रहा है, बजट नहीं होने के चलते प्रदेश में पिछले कई दिनों से खुशियों की सवारी एम्बुलेंस नही चल रही है, जिसके चलते गर्भवती महिलाओं को अस्पताल से निजी वाहनों से घर जाना पड़ रहा है। वही दून महिला अस्पताल की एच.ओ.डी़ चित्रा जोशी ने जानकारी देते हुए कहा कि खुशियों की सवारी के ना होने से गर्भवती महिलाओं को दिक्कतों से दो चार होना पड़ रहा है। लेकिन जल्द ही गर्भवती महिलाओं के लिए खुशियों की सवारी को शुरू कर दिया जाएगा। गर्भवती महिलाओं के साथ आए परिजनों की माने तो सरकार की ओर से उन्हें कोई भी सुविधांए नहीं मिल पा रही है, और निजी वाहनों से ही जच्चा-बच्चा को घर ले जा रहे हैं। राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का यह हाल तब है, जब खुद राज्य के मुखिया के पास स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा है।