मित्र पुलिस के लिए संकट बना उन्हीं का बनाया दूत

कोरोना काल को देखते हुए उत्तराखंड प्रदेश में मुस्तैदी से कोरोना संकट से निपटने और पुलिस की कमी को दूर करने के लिए उत्तराखंड प्रदेश के हर जनपद के कस्बे में स्पेशल पुलिस ऑफिसर एसपीओ अपने दूत रूप में बनाए गए । लेकिन कोरोना वायरस के संकट के साथ एसपीओ के विवाद के मामले लगातार प्रदेश और जनपद ऊधम सिंह नगर में बढ़ते गए ।

कोरोना संक्रमण के दौरान बिना जांच-पड़ताल के रखे गए स्पेशल पुलिस ऑफिसर (एसपीओ ) पुलिस के गले की हड्डी बनते नजर आ रहे है । लोगों को रौब दिखाकर धमकाने के साथ ही नौबत मारपीट तक पहुंच रही है ऐसी तमाम शिकायतों के बाद 1713 एसपीओ को लगभग हटाया जा चुका है ।  जबकि कई एसपीओ को लेकर थानों से रिपोर्ट मांगी गई है । इतना ही नहीं एक एसपीओ तो दुष्कर्म के आरोप में भी जेल जा चुका है ।

 आपको बता दें कोरोना काल में संकट को देखते हुए ऊधम सिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बरिंदर जीत सिंह ने अप्रैल के पहले सप्ताह में हर थाना चौकी में 10-10 लोगों को एसपीओ नियुक्त किया था । कई ऐसे लोग भी एसपीओ बना दिए गए जो पूर्व में विवादित मामले में जुड़े रहे इसके साथ ही और राजनैतिक दलों से जुड़े लोगों को भी एसपीओ का दायित्व दिया गया वो भी बिना जांच पड़ताल के । पुलिस अधिकारियों ने एसपीओ को वर्दी के रूप में कोट और आईडी कार्ड जारी कर दिए थे ।

 शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में बने कई  एसपीओ  ने तो विपक्षियों को अपनी निजी दुश्मनी निकलने के लिए निशाने में ले लेना शुरू कर दिया  इसी के चलते तमाम जगहों पर रोजाना विवाद शुरू होने लगे और एसपीओ के खिलाफ पुलिस अधिकारियों के पास शिकायतें पहुंचने लगी ।  पुलिस कार्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार जिले में 3899 एसपीओ रखे गए थे लेकिन अब तक 1713 एसपीओ हटाए जा चुके हैं । खटीमा और कुंडा में सबसे अधिक 182 एसपीओ रखे गए हैं तो वहीं पंतनगर में 7 और दिनेशपुर में भी 7 एसपीओ नियुक्त किये गए थे । ट्रांजिट कैंप में पुलिस का एक एसपीओ और राजनैतिक दल से संबंध रखने वाला सुरेश विश्वास दुष्कर्म के आरोप में जेल भी जा चुका है ।

विवादों में रहने के बाद भी एसपीओ की संख्या पुलिस से अधिक पहुंच गई है । जिले में 2000 से अधिक पुलिसकर्मी अपनी सेवाएं दे रहे हैं तो वही एसपीओ की संख्या इस समय 2186 के लगभग है इसके अलावा प्रत्येक थानों में पुलिस के ग्राम पहरी मददगार बने हुए हैं । 

उधम सिंह नगर पुलिस द्वारा एसपीओ को बिना जांच पड़ताल के नियुक्त करना ही एक बड़ा सवाल बनकर खड़ा हो रहा है अब देखना ये खास होगा ,जहां आम आदमी की तो पुलिस सुनवाई भी नही कर पा रही वही उनके द्वारा बनाये गए तथाकथित एसपीओ से संबंधित शिकायतों का निवारण कब तक कर पाती है ।