सरे आम होता है आचार संहिता का उल्लंघन । उधम सिंह नगर जिला विवादों में ।

इन दिनों पता नही आखिर उधम सिंह नगर में यह क्या हो रहा है ! आचार संहिता लागू होने के बावजूद चंद घंटों में हुई दूसरी घटना ने उधमसिंह नगर पुलिस की पूरी कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। ऐसा लग रहा है मानो उधमसिंह नगर में पुलिस के इकबाल का 'सूर्यास्त' होता जा रहा है और 'भीड़तंत्र' बेकाबू होता जा रहा है ।

कुंडेश्वरी चौकी में हुई घटना का मामला अभी शांत भी नही हुआ था की शुक्रवार को ट्रक चालक से हुई CPU कर्मियों की नोकझोंक के बाद हुए घटनाक्रम ने उधमसिंह नगर पुलिस की एक बार फिर जमकर किरकरी करवा दी।

इस घटना में तो हद ही हो गई। CPU कर्मियों पर हमले की सूचना पाकर मौके पर पहुँचे जनपद के वरिष्ठ अधिकारी अपर पुलिस अधीक्षक(क्राइम) से भी भीड़ ने बदसलूकी कर दी। इतना ही नहीं  बेखोफ भीड़ का  अंदाजा इससे लगता है कि  SP क्राइम के गनर से AK-47 राइफल छीनने का भी प्रयास हुआ। वो तो गनर की सूझ-बूझ और हिम्मत ने बड़ी घटना टाल दी।*

उधम सिंह नगर में क्या कानून व्यवस्था इतनी चौपट हो गई है कि एक टैंकर चालक बेखोफ होकर अपने साथ तलवार लेकर चल रहा था। इतना ही नहीं नोकझोंक होने पर टैंकर चालक ने पुलिस पर बीच सड़क तलवार से हमला करने से भी गुरेज नहीं किया। इससे पहले कुंडेश्वरी चौकी में भी ऐसा ही मामला हुआ था जब मंत्री के सामने भीड़ ने चौकी में घुसकर वहां के इंचार्ज से अभद्रता की थी और इंचार्ज को कमरे में बंद होकर अपने को बचाना पड़ा था। अब सवाल यह उठता है जब पुलिस अपनी ही चौकी में, सड़क पर अपनी सुरक्षा नहीं कर पा रही, उसको खुदको ही बार-बार जान के लाले पड़ रहे हैं तो वह आमजन की सुरक्षा क्या कर पायेगी ! और सवाल उठता है वर्तमान की सरकार पर जहाँ शिक्षा मंत्री खुद भीड़ तंत्र की अगुआई करते है ,कही न कही आम जन मे पुलिस आपसी सामंजस्य बनाने मे नाकाम सिद्ध हो रही है ।

उधमसिंह नगर को लेकर  एक चर्चा आम रहती है कि सिपाही से लेकर अधिकारियों तक की तैनाती में काम से ज्यादा राजनैतिक आका के आशीर्वाद को महत्वता दी जाती है इसलिए अधिकारी-कर्मचारी की निष्ठा पुलिस विभाग से ज्यादा अपने राजनैतिक आका की तरफ होती है। हालांकि ऐसी चर्चाओं में दम तो नहीं, कंही इन घटनाओं का मुख्य कारण यही तो नहीं ।

DGP साहब,  जाबाज उत्तराखंड पुलिस को यूडीएन में भी भागने और पीटने वाली पुलिस मत बनने दीजिये। दोनों ही घटनाओं पर सख्त कार्रवाई तो करिए ही मगर पूरी जनपद पुलिस की ओवरहालिंग भी कीजिये चाहे फिर वो सिविल पुलिस हो या खुफिया। साथ ही जांच तो इस बात की भी होनी चाहिए कि सूचना के कितनी देर बाद थाने से फ़ोर्स और बाकी अधिकारी मौके पर पहुँचे, कंही रिएक्शन टाइम की वजह से तो जिस घटना को छोटे में दबाया जा सकता था ने विकराल रूप तो नहीं ले लिया ! ऐसी घटनाओं से सिर्फ उधमसिंह नगर पुलिस ही नहीं बल्कि पूरे उत्तराखंड पुलिस के मनोबल  पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा ।