मायावती ने की खुद की तुलना भगवान राम से

सठियाने की अगर कोई उम्र तय होती तो आज वो उम्र मायावती की होती,जी हां मयावती खुद को भगवान राम के बराबर मानने लगीं है। सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ के अंबेडकर पार्क में मायावती की मूर्तियां लगाने पर कड़ा रूख दिखाते हुये जवाब मांगा था इस पर मायावती ने अपना हलफनामा कोर्ट को दिया है जिससे जाहिर होता है कि बसपा की बुआ सठिया गयी हैं,माआवती अपने हलफनामें में कहती हैं कि जब राम की मूर्ति बन सकती है तो मायावती की क्यों नहीं।अयोध्या में श्री राम की 221मीटर बड़ी मूर्ति सरकारी पैसे से बन सकती है तो मायावती की क्यों नहीं ऐसी दलीलें हलफनामें में दी गयी हैं|

इसके अलावा गुजरात में सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची मूर्ति का भी मायावती ने अपने हलफनामें में जिक्र किया है कि पटेल की मूर्ति बनायी गयी तो मेरी मूर्ति क्यों नहीं बन सकती, मायावती के अनुसार उनकी मूर्तियां लोगों की इच्छा का मान रखने के लिये बनाई गयी हैं।आगे सुनिये और क्या कहा मायावती ने कि उन्होंने समाज के खातिर शादी नहीं की और जिन्दगी भर बहनजी मिशन से जुड़ कर समाज की सेवा करने का फैसला लिया है।

नकल और अक्ल दोनो अलग अलग बाते हैं, खुद को भगवान मान लेना अक्ल पर पत्थर बैठ जाने के बराबर है और नकल करने से अगर पटेल के स्टेच्यू से होनी वाली कमाई के बराबर मायावती की मूर्ति कमा ले तो कुछ बात हो।फिलहाल तो मायावती के हलफनामें में राम तो नही पर उनके हंसी के पात्र बनने के सिवा कुछ नहीं।