महिला दिवस विशेष- दुनिया की सबसे अच्छी "माँ" एक महिला नही बल्कि आदित्य तिवारी हैं,जिन्हें आज मिल रहा है अवार्ड

80 के दशक में एक फ़िल्म आयी थी "कुंवारा बाप",एक ऐसा पिता जो बिन ब्याहे ही माँ के कर्तव्यो को बाप बन कर निभाता है।माँ जो जन्म देती है ,वही ईश्वर कहलाती है,लेकिन जो माँ भी नही हो फिर भी एक बच्चे को अपने कलेजे से लगाकर पाले,वो ईश्वर से भी बढ़कर है।आज महिला दिवस है और आज के दिन बेस्ट मॉम का अवार्ड किसी महिला को नही बल्कि एक पुरुष को दिया जा रहा है,है ना ये अजीब बात? लेकिन सच है ,बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम में पुणे के रहने वाले आदित्य तिवारी नाम के एक युवक को बेस्ट मॉम यानी सबसे अच्छी माँ का खिताब दिया जा रहा है।

बिन मां के बच्चे का पालन-पोषण एक पिता के लिए आसान नहीं होता,मगर पुणे में रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर आदित्य ने इसे आसान बनाते हुए एक बड़ा उदाहरण पेश किया। वह न सिर्फ़ स्पेशल बच्चे के सिंगल पेरेंट बने, बल्कि उसके लिए डेढ़ साल लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी।



2016 का वक्त था, जब आदित्य ने डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त एक बच्चे को गोद लिया था,जिसका नाम उन्होंने अवनीश रखा,हालांकि, उसे अपने घर तक लाने के लिए आदित्य को एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी, करीब डेढ़ साल के संघर्ष के बाद वह अपने बेटे को घर ला सके, उनका संघर्ष यही खत्म नहीं हुआ,अवनीश डाउन सिंड्रोम नाम की बीमारी से ग्रसित है इतना ही नही जब अवनीश महज़ 22 महीने का ही था तभी उसके दिल मे भी छेद होने की बात आदित्य को पता चली,पर वो हारे नही उन्होंने उस वक्त अवनीश की दो सर्जरी करवाई ,अवनीश की देखभाल करने के लिए आदित्य को अपनी जॉब भी छोड़नी पड़ी,लेकिन साथ ही साथ आदित्य ने मानसिक रूप से कमज़ोर बच्चों के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया,एक सिंगल फादर होने के बावजूद आदित्य ज़रा भी हिम्मत नही हारते,आदित्य अवनीश के इलाज के लिए अब तक 22 राज्यो का सफर तय कर चुके हैं ,चार सौ से ज़्यादा वर्कशॉप, कॉन्फ्रेंस, और मीटिंग्स में हिस्सा ले चुके हैं आदित्य दुनियाभर के उन बेहद खास पेरेंट्स में से एक हैं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित पेरेंटिंग से जुड़े सम्मेलन में भाग लेने लिए आमंत्रित किया जा चुका है।