भोले बाबा का त्योहार आया ।शिवरात्रि का त्योहार आया ।

।ॐ त्र्यम्बक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धन्म। उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात् !!

   यूं तो हर सोमवार भोले बाबा का दिन होता है लेकिन शिवरात्रि का अपना एक विशेष महत्व है।            किसी समय, भारतीय संस्कृति में एक साल में  365 त्योहार हुआ करते थे  यानि वे साल के प्रति दिन, कोई न कोई त्यौहार मनाने का बहाना खोजते थे। ये 365 त्योहार अलग अलग कारणों तथा जीवन के विविध उद्देश्यों से जुड़े थे। इन्हें विविध ऐतिहासिक घटनाओं, विजय श्री तथा जीवन की कुछ अवस्थाओं जैसे फसल की बुआई, रोपाई और कटाई आदि से जोड़ा गया था। हर अवस्था और हर परिस्थिति के लिए हमारे पास एक त्योहार था। परंतु महाशिवरात्रि का महत्व सबसे अलग है।

महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिङ्ग के उदय से हुआ था। अधिकतर लोग यह मान्यता रखते है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वति के साथ हुआ था। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

महाशिवरात्रि भगवान शिव के सम्मान में सालाना मनाया जाने वाला हिंदू त्यौहार है।महाशिवरात्रि त्योहार, जो  'शिवरात्रि' या 'शिव की महान रात' के रूप में भी लोकप्रिय  है शिव और शक्ति के अभिसरण को दर्शाता है अमावस्या-अन्त महीने की गणना के अनुसार हिंदू कैलेंडर माह मेघ के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी पर महा शिवरात्रि मनाया जाता है। वर्ष में बारह शिवरात्रियों में से, महाशिवरात्री सबसे पवित्र हैं।

शिव यानि कल्याणकारी, शिव यानि बाबा भोलेनाथ, शिव यानि शिवशंकर, शिवशम्भू, शिवजी, नीलकंठ, रूद्र आदि। हिंदू देवी-देवताओं में भगवान शिव शंकर सबसे लोकप्रिय देवता हैं, वे देवों के देव महादेव हैं तो असुरों के राजा भी उनके उपासक रहे। आज भी दुनिया भर में हिंदू धर्म के मानने वालों के लिए भगवान शिव पूज्य हैं। इनकी लोकप्रियता का कारण है इनकी सरलता। इनकी पूजा आराधना की विधि बहुत सरल मानी जाती है। माना जाता है कि शिव को यदि सच्चे मन से याद कर लिया जाए तो शिव प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी पूजा में भी ज्यादा पूजा पाठ की  जरुरत नहीं होती। ये केवल जलाभिषेक, बेलपत्रों को चढ़ाने और रात भर इनका जागरण करने मात्र से खुश हो जाते हैं।हर महीने में मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है लेकिन साल में शिवरात्रि का मुख्य पर्व जिसे व्यापक रुप से देश भर में मनाया जाता है दो बार आता है। एक फाल्गुन के महीने में तो दूसरा श्रावण मास में। फाल्गुन के महीने की शिवरात्रि को तो महाशिवरात्रि कहा जाता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालु कावड़ के जरिए गंगाजल भी लेकर आते हैं जिससे भगवान शिव को स्नान करवाया जाता हैं।शिवरात्रि माह का सबसे अंधकारपूर्ण दिवस होता है। प्रत्येक माह शिवरात्रि का उत्सव तथा महाशिवरात्रि का उत्सव मनाना ऐसा लगता है मानो हम अंधकार का उत्सव मना रहे हों। कोई तर्कशील मन अंधकार को नकारते हुए, प्रकाश को सहज भाव से चुनना चाहेगा। परंतु शिव का शाब्दिक अर्थ ही यही है, ‘जो नहीं है’। ‘जो है’, वह अस्तित्व और सृजन है। ‘जो नहीं है’, वह शिव है। ‘जो नहीं है’, उसका अर्थ है, अगर आप अपनी आँखें खोल कर आसपास देखें और आपके पास सूक्ष्म दृष्टि है तो आप बहुत सारी रचना देख सकेंगे। अगर आपकी दृष्टि केवल विशाल वस्तुओं पर जाती है, तो आप देखेंगे कि विशालतम शून्य ही, अस्तित्व की सबसे बड़ी उपस्थिति है। कुछ ऐसे बिंदु, जिन्हें हम आकाशगंगा कहते हैं, वे तो दिखाई देते हैं, परंतु उन्हें थामे रहने वाली विशाल शून्यता सभी लोगों को दिखाई नहीं देती। इस विस्तार, इस असीम रिक्तता को ही शिव कहा जाता है। वर्तमान में, आधुनिक विज्ञान ने भी साबित कर दिया है कि सब कुछ शून्य से ही उपजा है और शून्य में ही विलीन हो जाता है। इसी संदर्भ में शिव यानी विशाल रिक्तता या शून्यता को ही महादेव के रूप में जाना जाता है महाशिवरात्रि कुछ ग्रहण करने के लिए भी एक विशेष रात्रि है। यह हमारी इच्छा तथा आशीर्वाद है कि आप इस रात में कम से कम एक क्षण के लिए उस असीम विस्तार का अनुभव करें, जिसे हम शिव कहते हैं। यह केवल एक नींद से जागते रहने की रात भर न रह जाए, यह आपके लिए जागरण की रात्रि होनी चाहिए, चेतना व जागरूकता से भरी एक रात!।।

बम बम भोले।