बसंत पंचमी के अवसर नकुचियाताल में जनेऊ संस्कार

भीमताल से 4 किलोमीटर आगे जाने के बाद नकुचियाताल में हरिद्वार की तरह हरकी पैड़ी है। जो लोगो की आस्था का केंद्र है। बसंत पंचमी के सुभ अवसर पर 250 से ज्यादा बटुकों का यहाँ पर जनेउ संस्कार विधि पूर्वक सम्पन्न हुवा। बटुकों को माँ सरस्वती से आशिर्वाद दिलाया गया वही आगामी जीवन मे किस तरह से अपनी जिंदगी को सही मार्ग पर जनेउ संस्कार के द्वारा सही राह पर लाने का महत्व बताया।
मंदिर के पुजारी पंकज कपिल (पंडित) बताते है कि नकुचियाताल हरकी पैड़ी का पौराणिक काल से ही अपना महत्व रहा है। कहा जाता है सनक स्नातकनन्द ऋषि ने हरकी पैड़ी में यज्ञ कर हरिद्वार के लिए प्रस्थान किया था जो खुद में खासा महत्व रखता है। इसी के चलते आज बसंत पंचमी के अवसर पर 250 से ज्यादा बटुकों का जनेउ संस्कार हुवा है।
हरकी पैड़ी नकुचियाताल का पौराणिक दृष्टि से अपना अलग महत्व है हर साल यहां जनेउ संस्कार सम्पन्न होते है। आज भी यहाँ काफी बच्चों के जनेउ संस्कार हुवे।