पिरूल बनेगा विनाश के बजाय विकास का कारक|

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कार्यक्रम में पिरूल व अन्य प्रकार के बायोमास से विद्युत उत्पादन तथा ब्रिकेट इकाइकों की स्थापना के लिए चयनित 21 विकासकर्ताओं को परियोजना आवंटन पत्र प्रदान किए| इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पिरूल (चीड़ की पत्तियां) महिला सशक्तिकरण का महत्वपूर्ण जरिया बनेगा| उन्होंने कहा कि जंगलों में पिरूल कलेक्शन करने के लिए महिला समूहों को एक रुपया प्रति किलो की दर से अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा| साथ ही उन्होंने कहा कि पिरूल प्रकृति की देन है| इसे व्यवस्थित कर ग्रीन एनर्जी में परिवर्तित करना हमारा उद्देश्य है, इससे जंगल की आग रोकने में भी मदद मिलेगी| जंगलों में हरियाली होगी और जैव विविधता सुरक्षित रहेगी| चीड़ से निकलने वाले लीसा से भी 43 प्रकार के उत्पाद बनाए जा सकते हैं, इसके लिए इंडोनेशिया से तकनीकी जानकारी हासिल की जाएगी| इसका एक प्रोजेक्ट बैजनाथ में लगाया गया है| उन्होंने चीड़ को विनाश की बजाय विकास का कारक बनाने के लिए योजनाओं पर शीघ्र कार्य करने के निर्देश भी दिए| और उद्यमियों को सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हों इसके लिए बैंकों से भी सहयोगात्मक रवैया अपनाने की अपील की|