पिथौरागढ़ जिले में कालापानी क्षेत्र को लेकर हो रहे विवाद पर मुख्यमंत्री का बयान।

उत्तराखंड के पिथौड़ागढ़ ज़िले में कालापानी क्षेत्र है,यहां आईटीबीपी के जवान तैनात हैं।भारत द्वारा जम्मू कश्मीर व लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद जारी नए नक्शे में कालापानी को अपना हिस्सा बताया है।भारतीय राज्य उत्तराखंड की नेपाल से 80.5 किलोमीटर सीमा लगती है और 344 किलोमीटर चीन से. काली नदी का उद्गम स्थल कालापानी ही है।भारत ने इस नदी को भी नए नक्शे में शामिल किया है।कालापानी नेपाल के पश्चिमी छोर पर स्थित है। भारत द्वारा कालापानी क्षेत्र को अपने नक्शे में शामिल किए जाने का नेपाल में लगातार विरोध हो रहा है, बढ़ते विरोध-प्रदर्शन के बीच नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने रविवार को कहा कि कालापानी नेपाल, भारत और तिब्बत के बीच का ट्रिजंक्शन है और यहां से भारत को तत्काल अपने सैनिक हटा लेने चाहिए। रविवार को नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के यूथ विंग नेपाल युवा संगम को संबोधित करते हुए केपी ओली ने कहा, हमलोग अपनी एक इंच ज़मीन भी किसी के क़ब्ज़े में नहीं रहने देंगे, भारत यहां से तत्काल हटे।'' नेपाल के प्रधानमंत्री के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि कालापानी को लेकर जो बातें नेपाल के द्वारा कही जा रही हैं वह चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा भारत का जो हिस्सा है वह भारत का ही रहेगा,जो बातें उठ रही है उन्हें बातचीत के माध्यम से हल कर लिया जाएगा। नेपाल भारत का मित्र राष्ट्र है इसलिए बातचीत से मसला हल किया जा सकता है।उन्होंने नेपाल की कार्य संस्कृति पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि नेपाल की कार्य संस्कृति इस तरह की नहीं है जिस तरह से वह बात कर रहे हैं।नेपाल का दावा है कि 1961 में यानी भारत-चीन युद्ध से पहले नेपाल ने यहां जनगणना करवाई थी और तब भारत ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी. नेपाल का कहना है कि कालापानी में भारत की मौजूदगी सुगौली संधि का उल्लंघन है।