नैनीताल लोकसभा सीट पर भाजपा को हो सकती है दिक्कत

क्योंकि सभी को पता है कि अजय भट्ट नैनीताल लोकसभा के लिए प्रदेश अध्यक्ष होने के बाबजूद एक अंजान और बाहरी प्रत्याशी है ।और वही अगर उनके राजनीतिक सफर पर ध्यान दिया जाए तो इतिहास गवाह है कि जब जब अजय भट्ट चुनाव जीते है तब तब भाजपा के लिए सत्ता में आना मुश्किल रहा है । चाहें वो 2002 या 2012 का चुनाव हो । जबकि 2007 में उनके चुनाव हारने के बाबजूद भी राज्य में भाजपा को सरकार बनाने का अवसर प्राप्त हुआ था
वहीं 2007 में एक बड़ी मोदी लहड़ के चलते जिस वक्त कांग्रेस को महज 11 सीटों पर समेट दिया था उस वक्त प्रदेश अध्यक्ष , नेता प्रतिपक्ष व मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार होने के वाबजूद अपनी विधानसभा सीट नही बचा सके थे ।
तो वही गौरतलब है कि जब जब नैनीताल लोकसभा सीट में किसी बाहरी प्रत्याशी ने दस्तक दी है तो उसे तब तब हार मुँह देखना पड़ा है चाहे 2004 में दिल्ली से लाये गए विजय बंसल हो या 2009 में अल्मोड़ा से लाये गए बची सिह रावत । ऐसे में भाजपा अजय भट्ट के नाम पर मोहर लगाने के बाद कांग्रेस के लिए आक्रामक होने का यह बहुत अच्छा अवसर होगा ।