नैनीताल:प्लाज़्मा थैरेपी से कोरोना संक्रमितों का इलाज करने वाला सुशीला तिवारी राज्य का पहला अस्पताल बना क्या है प्लाज़्मा थैरेपी लिंक पर क्लिक कर जानिए

उत्तराखंड में कोरोना का कहर लगातार जारी है हर दिन कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ने में ही है ऐसे में राज्य के गम्भीर कोरोना संक्रमितों को जल्द से जल्द ठीक करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है,नैनीताल जिले के हल्द्वानी में स्थित सुशीला तिवारी अस्पताल में अब कोरोना संक्रमित के गंभीर रोगियों का इलाज बड़े शहरों की तर्ज पर प्लाज़्मा थेरेपी के माध्यम से करना शुरू कर दिया है।प्लाज़्मा थैरेपी से कोरोना संक्रमितों का इलाज करने वाला सुशीला तिवारी अस्पताल राज्य का पहला अस्पताल बन गया है ,जहा अब कोरोना मरीजो को प्लाज़्मा थेरेपी का फायदा मिल सकेगा।

देश के कई बड़े शहरों में प्लाज़्मा थेरेपी से कोरोना संक्रमितों का इलाज करने पर बेहतर नतीजे सामने आ रहे है।हमारा खून चार चीजों से बना होता है। रेड ब्लड सेल, वाइट ब्लड सेल, प्लेट्लेट्स और प्लाज्मा। इसमें प्लाज्मा खून का तरल हिस्सा है। इसकी मदद से ही जरूरत पड़ने पर एंटीबॉडी बनती हैं। कोरोना अटैक के बाद शरीर वायरस से लड़ना शुरू करता है। यह लड़ाई एंटीबॉडी लड़ती है जो प्लाज्मा की मदद से ही बनती हैं। अगर शरीर पर्याप्त एंटी बॉडी बना लेता है तो कोरोना हार जाएगा। मरीज के ठीक होने के बाद भी एंटीबॉडी प्लाज्मा के साथ शरीर में रहती हैं, जिन्हें डोनेट किया जा सकता है।

जिस मरीज को एक बार कोरोना का संक्रमण हो जाता है, वह जब ठीक होता है तो उसके शरीर में एंटीबॉडी डिवेलप होती है। यह एंटीबॉडी उसको ठीक होने में मदद करते हैं। ऐसा व्यक्ति रक्तदान करता है। उसके खून में से प्लाज्मा निकाला जाता है और प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडी जब किसी दूसरे मरीज में डाला जाता है तो बीमार मरीज में यह एंटीबॉडी पहुंच जाता है, जो उसे ठीक होने में मदद करता है। एक शख्स से निकाले गए प्लाजमा की मदद से दो लोगों का इलाज संभव बताया जाता है। कोरोना नेगेटिव आने के दो हफ्ते बाद वह प्लाज्मा डोनेट कर सकता है।