नैनीताल थियेटर: सरकार ना सही अपने ही मदद को हाथ बढ़ा दें

कोरोना वायरस के पास हम खुद तो चलकर गए नही,हम में से कितने ऐसे भी है जिन्होंने भारत के बाहर कभी कदम भी नही रखा ,हवाई जहाज से कभी यात्रा नही नही की,फिर कोरोना वायरस का कहर हमारे शहर तक कैसे आ पहुंचा? इसकी जिम्मेदारी किसकी है? ये कहना है नैनीताल के थियेटर कलाकारों का जो लॉक डाउन में आर्थिक तंगी के मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं,स्वाभिमानी कलाकार भूखो मरने को तैयार है इनकी सुध लेने वाला कोई नही है।कल इन कलाकारों ने सरकार से मदद की गुहार की थी आज ये कलाकार अपने ही बीच के उन कलाकारों से मदद की उम्मीद लगा रहे है जो आर्थिक रूप से सम्पन्न है ।अभिनेता व निर्देशक आकाश नेगी व उनकी टीम द्वारा एक सशक्त संदेश सरकार को दिया गया है, उन्होनें कहा कि इस लॉकडाउन में अमीरों ने गरीबों की हर तरह से मदद की, जो काबिलेतारीफ़ है, गरीबों ने अमीरों को दुआएं दीं जो देनी भी चाहिये थीं,बस यही लॉक डाउन की एक पिक्चर ख़त्म हुई,जो पिक्चर ख़त्म हुई उसमें दो ही किरदार थे एक को लगा हाँ मैं साधन सम्पन्न हूं,मैं लोगों की मदद कर सकता हूं, दूसरे किरदार को जो मेहनत मज़दूरी करके खाते कमाते हैं उनको लगा हाँ हम उन अमीरों की मदद ले सकते हैं,फिर कहानी के आखिर में एक ने मदद ली एक ने मदद दी,दोनों अपने घरों को चल दिये,
इन सबके बीच एक किरदार ऐसा था जिसे सबने नज़रअंदाज़ किया वो था मध्यम वर्गीय परिवार का कलाकार जिसनेउस वक्त जब सब ख़ुश थे तो लोगों का नुक्कड़, नाटक, गीत संगीत के ज़रिये सबका मनोरंजन किया, उसने अपने आंसू पोंछते हुये दूसरों के चेहरे पर मुस्कान दी, लेकिन आज इस संकट के दौर में उसका दामन किसी ने नहीं पकड़ा, यहाँ हम सरकार या किसी मंत्री की घोषणा की बात नहीं कर रहे बल्कि हम सिर्फ़ उन लोगों की बात कर रहे हैं जो हमारे अपने हैं, वो हमारे अपने कलाकार जो अच्छे मुकाम पर हैं या थे या वो हमारे अपने कलाकार जिनको नीली छतरी वाले ने दौलत और शोहरत से नवाज़ा है, अगर नैनीताल ज़िले की बात करें और अब उन अपने ज़रूरतमंद कलाकारों की बात की जाये जो सिर्फ़ अपनी आजीविका कला के ज़रिये ही कमाते आये थे, वो गिने चुने ही होंगे। नैनीताल थियेटर के कलाकरों का कहना है कि क्या वे हमारे अपने साधन -सम्पन्न कलाकार इस बुरे दौर में हमारे उन संघर्षशील युवा कलाकारों के कांधे पर हाथ रखकर ये नहीं कह सकते कि छोटे भाई आप घबराओ नहीं हम आपके साथ हैं, सरकार से बड़े उन ज़रूरतमंद कलाकारों के लिये आप हैं,और एक गुज़ारिश ये भी है जिस तरह घर में कोई आता है उसको जबतक हम चाय -नाश्ता लगाकर नहीं देते वो अपने मुंह से नहीं मांगता, बस कलाकारों का भी स्वाभिमान कुछ इसी तरह का होता है।