देहरादून में नदी,नालो पर हो रहे अतिक्रमण मामले में राज्य सरकार ने कोर्ट में पेश की रिपोर्ट।

उत्तराखण्ड हाईकोकोर्ट ने देहरादून में नदियों ,तालाबो , व नालों  पर हो रहे अतिक्रमण के मामले पर आज राज्य सरकार से रिपोर्ट पेश कर कहा है कि अतिक्रमणकारियो को चिन्हित कर हटाया जा रहा है,  जिस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने आपत्ति जताते हुए कहा कि अतिक्रमण के नाम पर गरीब तबके को हटाया जा रहा जबकि रसूखदारों के अतिक्रमण नही हटाए जा रहे है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से 2 सप्ताह में प्रतिशपथ दाखिल करने को कहा है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रँगानाथन और न्यायाधीश आलोक वर्मा की खंडपीठ में हुई।           

मामले के अनुसार  राजपुर क्षेत्र की पार्षद उर्मिला थापा द्वारा दायर जनहित याचिका जिसमें राजपुर क्षेत्र के नालों, खालों और ढांग पर बेइंतहां अतिक्रमण और निर्माण की बात कही गई थी, उसकी सुनवाई के दौरान देहरादून के ज़िला अधिकारी द्वारा शपथपत्र पेश कर दून घाटी की नदियों में 270 एकड़ अतिक्रमण की बात स्वीकारी गई। देहरादून में 100 एकड़, विकासनगर में 140 एकड़, ऋषिकेश में 15 एकड़, डोईवाला में 15 एकड़ करीब नदियों की भूमी अतिक्रमण का शिकार है। याचिकाकर्ता के द्वारा न्यायालय को बताया गया की इनका साइज़ 205 फुटबॉल फील्ड के बराबर है। अर्थात सरकारी आंकड़ों के ही मुताबिक दून घाटी में 205 फुटबाल फील्ड जितना अतिक्रमण किया गया है। यह हाल तो सरकार के आंकड़ों में है, वास्तव में स्थिति और बदतर होने के भारी आसार है।