देहरादून में किया गया कृषि सेमिनार

राज्य स्तरीय शून्य लागत यानी जीरो बजट प्राकृतिक कृषि से संबंधित एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन आज देहरादून के आइटीडीए ऑडिटोरियम में किया गया। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शिरकत की।वही इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर पद्मश्री सुभाष पालेकर ने भी शिरकत की । इस कार्यक्रम में पूरे प्रदेश से सक्रिय किसान और पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय से वैज्ञानिकों के अलावा प्रदेश के पर्यावरण विदों और आम जनता को भी बुलाया गया था ।कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि त्रिवेंद्र सिंह रावत और विशिष्ट अतिथि सुभाष पालेकर ने दीप प्रज्वलित कर किया ।शून्य बजट में प्राकृतिक कृषि को आधार बनाकर कैसे आमदनी दुगनी की जाएगी या फिर किसानों के स्वावलंबन बनने की प्रक्रिया में कम समय में गुणवत्ता परक सुधार कैसे होगा इन तमाम बातों पर इस कार्यशाला में गंभीरता से चिंतन किया गया ।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शून्य बजट पर आधारित प्राकृतिक कृषि को कैसे प्रदेश में विकसित किया जाए और उस पारंपरिक कृषि के साथ प्राकृतिक कृषि का जुड़ाव कैसे हो इसके लिए सुभाष पालेकर कृषि तकनीक इस्तेमाल करने की बात कही ।वही सीएम रावत ने कहा पूरे देश में 50 लाख किसान मौजूदा समय में सुभाष पालेकर कृषि तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं और अपने मुनाफे को बिना रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल किए हुए दोगुने करने के रास्ते पर अग्रसर है जिसके लिए उत्तराखंड में भी वातावरण और भौगोलिक स्थितियां अनुकूल है ।लिहाजा सरकार सुभाष पालेकर की कृषि तकनीक को प्रदेश में लागू करेगी जिसके लिए मुख्य सचिव की अगुवाई में एक कमेटी का निर्धारण किया जाएगा और जो कमेटी इसकी कार्ययोजना तैयार करने के साथ-साथ किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए और इसकी तकनीक को सही तरीके से राजधानी से ग्राम स्तर और ब्लॉक स्तर तक पहुंचाने का कार्य करेगी ।इतना ही नहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पद्मश्री सुभाष पालेकर का हार्दिक अभिनंदन भी किया।
इस दौरान सुभाष पालेकर ने अपने अनुभव के आधार पर किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग के कारण हालात खराब है ।लगातार जलवायु में परिवर्तन हो रहा है पर्यावरण संरक्षण खत्म हो रहा है ।पानी दूषित हो रहा है ,उद्योग धंधे चौपट हो रहे हैं जिसको लेकर भविष्य में कृषि ही एक ऐसा क्षेत्र होगा जो लोगों को भरण-पोषण के साथ-साथ रोजगार भी उपलब्ध कराएगा ।इतना ही नहीं पद्मश्री सुभाष पालेकर ने कहा कि कृषि को करने के लिए यह किसान की आय को दोगुना करने के लिए सबसे पहले किसान के खर्चे को कम करना बेहद जरूरी है जिसमें जैविक खेती ,रसायनिक खेती और मॉडर्न खेती के विकल्प के तौर पर सुभाष पालेकर कृषि तकनीक का इस्तेमाल भारत के किसानों को करना पड़ेगा जिसमें शून्य लागत से किसान को किसानी करनी पड़ेगी और बेहतर क्वालिटी का उच्च स्तर का गुणवत्तापरक परिणाम किसान को मिलेंगे ।इस तकनीक का वैज्ञानिकता का प्रमाण भी आ चुका है उत्तराखंड में भी पन्तनगर कृषि विश्वविद्यालय इसका प्रयोग कर रहा है और हिमाचल में इस ने शत-प्रतिशत परिणाम भी दर्ज किया है ।उत्तराखंड सरकार द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि सुभाष पालेकर ने किसानों से इस तकनीक को इस्तेमाल करते हुए खेत खलिहान को बचाने और भविष्य की चिंता करते हुए कृषि और बागवानी करने की सलाह दी है।