ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करना हो तो जान पहचान नहीं,बल्कि टेस्ट में बेस्ट साबित होना होगा।

यदि आपको ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करना हो तो जान पहचान नहीं बल्कि टेस्ट में बेस्ट साबित होना होगा। देहरादून आरटीओ कार्यालय में अब मोटर ड्राइविंग लाइसेंस लेने के लिए आवेदक को ड्राइविंग के सभी निर्धारित मानकों को पूरा करना ही होगा।प्रदेश में अभी परिवहन विभाग के कार्यालयों में लाइसेंस बनाने के लिए टेस्ट सिमुलेटर में लिए जाते हैं, यदि किसी की विभाग में थोड़ी बहुत जान पहचान हो और वाहन चलाना आता हो, तो उसे सिमुलेटर टेस्ट पास करने में बहुत अधिक दिक्कत नहीं आती है।कुछ समय पहले परिवहन विभाग ने भारी वाहनों के लाइसेंस के लिए आईटीडीआर को अधिकृत किया था। आईटीडीआर में पूरा ट्रैक बना हुआ है, जिसमें पर्वतीय मार्गों की भांति तीव्र मोड़, चढ़ाई और ढ़लान आदि बनाए गए हैं। हालांकि यहां भी प्रशिक्षण चालकों को पास अथवा फेल करते थे, इसमें भी जान पहचान के कारण गलती होने पर भी टेस्ट पास करने की गुंजाइश रहती थी।अब परिवहन विभाग आईटीडीआर और माइक्रोसॉफ्ट मिलकर एक सॉफ्टवेयर लेकर आ रहे हैं, शुरुआती चरण में इसे भारी वाहन के लाइसेंस के लिए तैयार किया जा रहा है, इसके तहत वाहन के भीतर और बाहर सीसी कैमरे लगाए जाएंगे यह कैमरे कंप्यूटर से कनेक्ट रहेंगे टेस्ट के दौरान ड्राइविंग की पूरी रिकॉर्डिंग की जाएगी यह देखा जाएगा कि, ड्राइवर ने सीट बैल्ट पहनी है या नहीं, मोड काटते समय कहीं गाड़ी कोने से तो नही टकराई,गाड़ी रिवर्स करते समय रियर व्यू मिरर देखा कि नही. पार्किंग किस तरह से की।ड्राइविंग टेस्ट को विभाग का तकनीकी अधिकारी नहीं, बल्कि कंप्यूटर चैक करेगा।कंप्यूटर द्वारा जारी नतीजे के बाद ही सफल आवेदकों को लाइसेंस जारी किया जाएगा। पास होने की सूरत में लाइसेंस मिलेगा और फेल होने की सूरत में उसे एक निश्चित समयसीमा के अन्दर फिर से आवेदन करना होगा। इस व्यवस्था को धरातल पर उतारने के लिए परिवहन विभाग इंस्टीट्यूट आफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च और माइक्रोसॉफ्ट मिलकर परियोजना का संचालन करेंगे, इस योजना को एक जुलाई से ट्रायल मोड पर और 15 अगस्त से विधिवत धरातल पर उतारने की तैयारी है|